उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे
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भाजपा के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गठबंधन घाटे का सौदा साबित हआ। तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा महाराष्ट्र में अपनी चाहत के लिहाज से सीटें नहीं पा सकी। सियासी गलियारों में चर्चाएं इस बात की खूब हो रही हैं कि आने वाले वक्त में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ एकनाथ शिंदे के विधायक और सांसद मिल सकते हैं। ऐसी दशा में महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा उलटफेर होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा के चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे की शिवसेना और भाजपा एक हो सकती हैं। कहा यह भी जा रहा है कि क्या इस सियासी गुणाभाग की चाल में उद्धव ठाकरे को वापस उनका चुनाव चिन्ह और पार्टी दोनों मिल जाएंगी।
चुनाव नतीजों के बाद बदले समीकरण
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सियासत में जिस तरीके की बिसात बिछाई गई, उसमें भाजपा को अच्छा खासा नुकसान हुआ। राज्य में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 13 सीटें कांग्रेस जीतने में सफल रही, जबकि उसके सहयोगी दल उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने 9 और शरद पवार की पार्टी को 8 सीटें मिलीं। भाजपा को इस चुनाव में महज नौ सीटें ही मिल सकीं। जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना महज सात सीटों पर चुनाव जीती। अजित पवार की एनसीपी को एक सीट से संतोष करना पड़ा। कुल मिलाकर महाराष्ट्र में भाजपा अपने नए सहयोगी घटक दलों के साथ जबरदस्त नुकसान में रही। एनडीए ने 2019 में 48 में से 41 सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार यह ग्राफ तेजी से नीचे गिरा है। इसी नंबर गेम को सियासी जानकार भविष्य की नई राजनीतिक राह के तौर पर देख रहे हैं।
शिंदे के साथ आने से भाजपा को हुआ नुकसान
महाराष्ट्र की सियासत को करीब से समझने वाले हिमांशु शितोले कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सच है कि एकनाथ शिंदे के साथ आने पर भाजपा को नुकसान हुआ है। उनका कहना है कि यह नुकसान भी ऐसा है, जो न सिर्फ लोकसभा चुनाव में दिखा है बल्कि आने वाले विधानसभा चुनाव से लेकर बीएमसी चुनावों में भी इसका असर दिखना तय माना जा रहा है। वह कहते हैं कि महाराष्ट्र में भाजपा को अपनी लंबी सियासी दूरी तय करने के लिए अगर गठबंधन को बदलने की जरूरत पड़े, तो वह उसको करने में नहीं हिचकेगी। हिमांशु बताते हैं कि भाजपा ने बहुत सलीके से महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन किया है। वह जोर देते हुए कहते हैं कि भाजपा शिवसेना के साथ है। अब शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे हो या उद्धव ठाकरे। उनका इशारा स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की सियासत में अभी और बहुत बड़ा खेल हो सकता है।