केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के फायद ब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने एक फिर से विवादित बयान दिया है। उन्होंने देश के बंटवारे को याद करते हुए कई बातें कहीं। उन्होंने कहा कि 14 अगस्त को हम लोग विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में मनाते है। इसमें हमारे लाखों करोड़ों लोगों की हत्या हुई। हमारे पूर्वजों से एक और हत्या हुई। हमारे पूर्वजों से एक ओर भूल हुई कि उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया। लोग कहते हैं कि गांधी जी को नेहरू प्रेम था। इसलिए प्रेम के कारण यह विभीषका देखने को मिली। अगर सरदार पटले प्रधानमंत्री बने होते तो हिन्दुओं की यह दुर्दशा नहीं होती। लियाकत अली के साथ पैक्ट हुआ था कि यहां से जो मुसलमान पाकिस्तान जाएंग और पाकिस्तान से जो हिन्दू भारत आएंगे, उनकी हिफाजद की जाएगी। लेकिन, हिफाजत नहीं हुआ। न उनको जमीन मिली न कुछ। अगर सारे मुसलमालों को पाकिस्तान भेज दिया गया होता और सारे हिन्दुओं को भारत लाया जाता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। न ही यहां वक्फ बोर्ड के पास नौ लाख हेक्टेयर मुफ्त की जमीन होती और न ही वहां पर हिन्दू, सिख और ईसाई मारे जाते।
आज हमारे देवी-देवताओं का अपमान नहीं होता
गिरिराज सिंह ने कहा कि आज तक हमलोग दंश झेल रहे हैं। आज भी हमलोग शोभा यात्रा निकालते हैं तो कभी पत्थर खाना पड़ता, कभी गोलियां चलती हैं तो कभी तलवार चलता है। आज कुछ लोग हमारे देवी देवताओं पर टीका टिप्पणी खुलेआम कर रहे हैं। अगर धर्म के आधार पर देश के टुकड़े हुए तो पता नहीं गांधी जी को कितना प्रेम था मुस्मिल भाइयों से कि आज तक हमलोग दंश झेल रहे हैं। अगर उस समय मुसलमानों को पाकिस्तान भेज दिया गया होता तो आज हमारे देवी-देवताओं का अपमान नहीं होता। मंदिर नहीं तोड़े जाते। हमलोग सबके सुख की कामना करते हैं। लेकिन, फिर भी हमारे जुलूस पर पथराव होता है।
हमें विभाजन रूपी विभीषिका का दंश भी मिला
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रतिवर्ष 15 अगस्त को हम देशवासी स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। किसी भी देश के लिए आजादी की वर्षगांठ खुशी और गर्व का अवसर होता है। हम भी 15 अगस्त 1947 को आजाद हुए थे। लेकिन,भारत को जो स्वतंत्रता मिली थी। उसके साथ-साथ सौगात में हमें विभाजन रूपी विभीषिका का दंश भी मिला था। नए स्वतंत्र भारतीय राष्ट्र का जन्म विभाजन के हिंसक दर्द के साथ हुआ। जिसने लाखों भारतीयों पर पीड़ा के स्थायी निशान छोड़े। वर्ष 1947 में विभाजन के कारण मानव जाति के इतिहास में सबसे विनाशकारी विस्थापनों में से एक देखा गया। 15 अगस्त 1947 की सुबह ट्रेनों, घोड़े खच्चर और पैदल ही लोग अपनी ही मातृभूमि से विस्थापित होकर अपने अपने देश जा रहे थे। इसी बीच बंटवारे के दौरान भड़के दंगे और हिंसा में लाखों लोगों की जान चली गई। यह विचलित करने वाली घटना थी। ऐसी भीषण त्रासदी थी। जिसमें करीब बीस लाख लोग मारे गए और डेढ़ करोड़ लोगों का पलायन हुआ था। यह विभाजन मानव इतिहास में सबसे बड़े विस्थापनों में से एक है। जिससे लाखों परिवारों को अपने पैतृक गांवों एवं शहरों को छोड़ना पड़ा और शरणार्थी के रूप में एक नया जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इस विभाजन के दर्द को कई जगहों पर बयां किया गया
गिरिराज सिंह ने कहा कि इस विभाजन का सबसे अधिक दंश जिस राज्य ने झेला, वह पंजाब था। पंजाब एक ऐसा प्रांत जो हिंदू, मुस्लिम और सिखों सहित विभिन्न समुदायों की असंख्य और जीवंत आबादी का ठिकाना था। लेकिन विभाजनकारी षडयंत्र ने इसे दो भागों में विभाजित करके इसकी विरासत और विशिष्टता पर गहरा आघाता किया। वहीं भारत के हिस्से में आने वाले पंजाब को पूर्वी पंजाब या भारतीय पंजाब और पाकिस्तान में जाने वाले पंजाब को पश्चिमी पंजाब या पाकिस्तानी पंजाब के रूप में विभाजित किया गया।पांच नदियों की भूमि पुंज-आब ने भी अपने जल स्रोतों को विभाजित होते देखा है। जिनमें से तीन, सतलुज, रावी और ब्यास भारतीय पंजाब में और बाकी दो नदियां, चिनाब और झेलम पाकिस्तानी पंजाब में हैं। इस विभाजन के दर्द को कई जगहों पर बयां किया गया है।