Space Race
– फोटो : Amar Ujala
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देश इस साल अपनी आजादी के 77 साल पूरे करने जा रहा है। वैश्विक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से हमारी आजादी के 77 सालों का ये सफर काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। हालांकि, 21वीं शताब्दी का यह दशक भारत के लिए कई नई संभावनाओं के रास्तों को खोल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्पेस ये दो क्षेत्र ऐसे हैं, जहां भारत ने अगर दबदबा बना लिया तो देश दोबारा वैश्विक और आर्थिक स्तर पर अपनी संप्रभुता को कायम कर सकता है।
दरअसल, आने वाले दशक में इन दोनों सेक्टर्स के ईर्द-गिर्द ट्रिलियंस ऑफ डॉलर की इकोनॉमी घूमेगी। खासकर स्पेस सेक्टर की बात करें तो कुछ सालों में इसकी हिस्सेदारी वैश्विक अर्थव्यवस्था में काफी बड़ी होने वाली है। इस कारण स्पेस में जिस देश का प्रभुत्व होगा वह जियो पॉलिटिक्स से लेकर नए वर्ल्ड ऑर्डर को शेप करने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
जाहिर है ये बात अमेरिका, चीन, रूस के साथ-साथ भारत को भी पता है जिसके चलते कैसे स्पेस के प्रमुख स्ट्रैटेजिक जगहों पर पहले पहुंचकर अपना दबदबा बनाया जा सकता है? ये देश इसे लेकर तैयार हैं। चांद पर नए संसाधनों की खोज से लेकर स्पेस कॉलोनाइजिंग और एस्टेरॉयड माइनिंग की दिशा में अमेरिका, रूस, चीन और अपना देश भारत कई अंतरिक्ष मिशन्स भेज रहे हैं।
स्पेस कॉलोनाइजेशन, एस्टेरॉयड माइनिंग के साथ-साथ स्पेस टूरिज्म की दिशा में कई नए आयाम खुलने वाले हैं। इस कारण स्पेस लॉजिस्टिक, सैटेलाइट और ह्यूमन लॉन्चिंग के क्षेत्र में अरबों डॉलर्स का बड़ा बाजार भविष्य में आकार लेने वाला है। भविष्य की इस नब्ज को पकड़ते हुए आज स्पेसएक्स, इसरो, वर्जिन एनालिटिका, नासा जैसी कई स्पेस एजेंसियां और निजी कंपनियां इस बाजार में अपनी दावेदारी बढ़ाने के लिए रॉकेट मैन्युफैक्चरिंग और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अरबों डॉलर्स का निवेश कर रही हैं।
तकनीकी और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विस्तार में भारत भी पीछे नहीं है। इसी को देखते हुए इसरो भारत का पहला मानवयुक्त गगनयान मिशन अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी में है। इसे अगले साल लॉन्च किया जा सकता है। अब तक स्पेस में इंसानों को भेजने में केवल तीन देश (अमेरिका, रूस और चीन) ही सफल हो पाए हैं। अगर गगनयान मिशन कामयाब होता है। इस स्थिति में भारत का नाम भी इन तीन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा।
महत्वाकांक्षी है भारत का गगनयान मिशन
गगनयान मिशन के अंतर्गत भारत के एस्ट्रोनॉमर्स ने रूस के गगारियन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में अपना प्रशिक्षण पूरा किया है। इस मिशन के तहत कुल 3 फ्लाइट की जाएंगी। इनमें पहली 2 एबोर्ट फ्लाइट होंगी। इनमें मिशन के सेफ्टी मेजरमेंट, ट्रेजेक्टरी परफॉर्मेंस आदि चीजों की जांच की जाएगी। इनके सफल होने के बाद तीसरी फ्लाइट में भारत के एस्ट्रोनॉमर्स को स्पेस के लो अर्थ ऑर्बिट (400 किलोमीटर) में 3 दिनों के लिए भेजा जाएगा। अगर ये मिशन सफल होता है, तो भारत के लिए ये एक बड़ी कामयाबी होगी। इससे भविष्य में सस्ते और दूसरे नए मैन्ड मिशन की रूपरेखा तैयार करने में मदद मिलेगी। इससे स्पेस की दुनिया में भारत की दावेदारी और भी ज्यादा मजबूत होगी।
मिशन के सफल होने के बाद भारत ग्लोबल स्पेस स्टेशन के साथ मिलकर अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट को परफॉर्म कर सकेगा। इसके अलावा दूसरे देशों के साथ हमारे सहयोग और रिश्ते भी बेहतर होने लगेंगे। यही नहीं इस मिशन की सफलता भारत के लिए जियो पॉलिटिक्स और इंटरनेशनल रिलेशन के क्षेत्र में कई नए रास्तों का खोलने का काम करेगी।