रंजीत (Actor Ranjeet) की गिनती हिंदी सिनेमा के टॉप एक्टर्स में होती है. उन्होंने पर्दे पर विलेन का रोल ऐसा निभाया कि लोग सचमुच का विलेन मान बैठे. सितंबर 1941 में अमृतसर के करीब एक छोटे से कस्बे जदिंयाला गुरु में पैदा हुए रंजीत के माता-पिता ने उनका नाम ‘गोपाल बेदी’ रखा. स्कूली पढ़ाई के बाद गोपाल बेदी दिल्ली आ गए और यहां हिंदू कॉलेज में दाखिला ले लिया. 1966 की एक एक दोपहर गोपाल कॉलेज की कैंटीन में अपने दोस्तों के साथ गपशप कर रहे थे. दोस्तों ने हाथ में एक अखबार था, जिसमें इंडियन एयर फोर्स का विज्ञापन छपा था. दोस्त करने लगे कि एयरफोर्स में सेलेक्शन कितना कठिन है. हर साल सिर्फ 10-12% लोग ही सफल होते हैं.
रोशमिला भट्टाचार्य (Roshmila Bhattacharya) रूपा पब्लिकेशन से प्रकाशित अपनी किताब ‘बॉलीवुड्स आइकॉनिक विलेन्स: बैड मेन’ (Bollywood’s Iconic Villains: Bad Men) में लिखती हैं कि गोपाल बेदी ने मजे मजे में अपने चार दोस्तों के साथ जेब खर्चे से रुपये बचाकर एयरफोर्स का एप्लीकेशन फॉर्म भर दिया. उन्होंने एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट भी क्वालीफाई कर लिया. इसके बाद गोपाल को जबलपुर एयरफोर्स सेलेक्शन बोर्ड में बुलाया गया. यहां भी उन्होंने क्वालीफाई कर लिया.
एयरफोर्स की नौकरी से क्यों निकाले गए?
तब तक गोपाल बेदी ने अपने पैरेंट्स को एयरफोर्स में अप्लाई करने की बात नहीं बताई थी. जब फाइनल सिलेक्शन हो गया तो एक जगह पिता का सिग्नेचर चाहिए था. इस तरह उनके पैरेंट्स को सेलेक्शन की बात पता चली. गोपाल बेदी को ट्रेनिंग के लिए कोयंबटूर भेजा गया. यहां कैंट में एक सीनियर अफसर से उनकी लड़ाई हो गई. उस अफसर को लग रह था कि गोपाल उनकी बेटी पर गलत नजर डालते हैं. रोशमिला बेदी लिखती हैं कि इस बात में सच्चाई नहीं थी. वो अफसर अक्सर गोपाल को तंग करने लगा. एक दिन तंग आकर गोपाल ने उस अफसर को पंजाबी में भद्दी भद्दी गालियां दे डालीं. इसके बाद उसे अकादमी से बाहर निकाल दिया गया. इस तरह गोपाल फिर दिल्ली लौट आया.
कैसे मिला फिल्मों में रोल?
रोशमिला भट्टाचार्य लिखती हैं कि अकादमी से निकाले जाने के बाद गोपाल दुखी थे. इसी दौरान वह एक दोस्त के घर गए. दोस्त के पिता ने छोटा गेट-टूगेदर रखा था, जिसमें तमाम मेहमान आए थे. दोस्त के पिताजी ने गोपाल से पूछा कि उसकी ट्रेनिंग कैसी चल रही है तो उसे बताना पड़ा कि अकादमी से निकाल दिया गया है. वह पार्टी से निकल रहा था अचानक किसी ने कंधे पर हाथ रखा और पूछा क्या तुम फिल्मों में काम करना पसंद करोगे? सूट बूट मैं लिपटे उस आदमी को देखकर गोपाल चौंक गया. उसने फिल्म तो क्या रामलीला तक में कभी एक्टिंग नहीं की थी. शख्स ने उसे अगले दिन क्लैरिजेज होटल में मीटिंग के लिए बुलाया. डरते डरते वह मीटिंग के लिए पहुंच गए. शख्स ने अपना परिचय रंजीत सिंह ऊर्फ रोनी के रूप में दिया. उन्होंने अपनी फिल्म में उसको ट्रक क्लीनर का रोल ऑफर किया. गोपाल वो रोल करने को राजी हो गया. इस तरीके से सिनेमा की दुनिया का रास्ता खुला.
गोपाल बेदी से कैसे पड़ा रंजीत नाम?
एक दफा गोपाल बेदी, सुनील दत्त (Sunil Dutt) के साथ जैसलमेर जा रहे थे. टैक्सी में सुनील दत्त ने उनसे कहा कि तुम्हें कोई फिल्मी नाम रखना चाहिए और एक अक्षर चुनने को कहा. गोपाल ने ‘आर’ चुना. इसके बाद सुनील दत्त ने कहा कि तुम्हें रंजीत (Ranjeet) नाम रखना चाहिए. इस नाम से मुझे महाराजा रणजीत सिंह की याद आती है, जो महान योद्धा थे. इस पर गोपाल ने फौरन हां कह दी. फिल सुनील दत्त ने अपने मुंबई ऑफिस में फोन करके कहा कि अबसे भोपाल बेदी का प्रमोशन रंजीत के तौर पर होगा. इस तरह रंजीत के नाम से मशहूर हो गए.
माता-पिता ने बात करनी बंद कर दी थी
रंजीत के परिवार वालों को जब पता चला कि उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया है तो बातचीत बंद कर दी. कई महीने तक बातचीत नहीं हुई. कई महीने बाद रंजीत ने अपने परिवार वालों को मनाने की कोशिश की. जब फिल्म ‘शर्मीले’ का प्रीमियर दिल्ली में रखा गया तो उन्होंने अपने माता-पिता को भी प्रीमियर पर इनवाइट किया. फिल्म में जब रंजीत, राखी का बाल पड़कर खींचने और उनके कपड़े फाड़ने लगे तो उनके मां-बाप इतने नाराज हुए कि वहां से उठकर चले गए. बाद में रंजीत घर गए तो उनकी मां कहने लगे कि तुमने मेरा मुंह काला कर दिया है. किसी को चेहरा दिखाने लायक नहीं छोड़ा है. अब हम अमृतसर में किसी को क्या जवाब देंगे? इसके बाद रंजीत उस होटल में गए जहां राखी ठहरी थीं. उन्हें अपने साथ ले आए और मां-बाप को यकीन दिलाया कि उन्होंने राखी के साथ वास्तव में कोई बुरा सलूक नहीं किया, बल्कि दोनों पर्दे पर एक्टिंग कर रहे थे. उनकी मां राखी से माफी मांगती रहीं.
रोशमिला लिखती हैं कि इसके बाद उनके पेरेंट्स कभी-कभार अपने बेटे की फिल्में देखने लगे. एक दफा पर्दे पर जब रंजीत को गोली लगी तो उनकी मां थिएटर में ही चीखने लगीं कि मेरे बेटे को मार डाला. तब किसी तरह लोगों ने उन्हें समझाया.
बेटी को साथ देख लोग देने लगते गालियां
70 और 80 के दशक में पर्दे पर कम से कम 300 से ज्यादा बार रेप का सीन फिल्माने वाले रंजीत को असल जिंदगी में भी लोग खलनायक मानने लगे. रोशमिला लिखती हैं कि कई दशक बाद जब उनकी बेटी दिव्यांका दिल्ली में काम करने लगीं तो वो अक्सर मुंबई से उससे मिलने दिल्ली आया करते थे. जब शाम को बेटी के साथ किसी होटल या रेस्टोरेंट में डिनर करने जाते तो लोग उन्हें देखते ही फुसफुसाने लगते और कहते ”ठरकी बुड्ढा, अपनी बेटी की उम्र की लड़कियों को भी नहीं छोड़ता है…’
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FIRST PUBLISHED : October 6, 2024, 16:51 IST