बचाव पक्ष को दुष्कर्म की धारा 65(1) भारतीय न्याय संहिता पर आपत्ति थी। अधिवक्ताओं को फोरेंसिक जांच रिपोर्ट पर भी आपत्ति थी और पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए।
अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता का कहना है कि पुलिस ने जो धाराएं लगाई हैं, उनके साक्ष्य भी दिए हैं और चार्जशीट एवं केस डायरी में उसका उल्लेख किया गया गया। इससे संबंधित पर्याप्त गवाह भी पुलिस के पास हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) अलका यादव ने फैसला सुरक्षित कर लिया और मुकदमे का ट्रायल शुरू करने के लिए 28 अक्तूबर की तारीख निश्चित कर दी। मुकदमा किन धाराओं में चलेगा, अभी इसकी जानकारी अभियोजन और बचाव पक्ष ने नहीं दी है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई आरोपियों की पेशी
पॉक्सो कोर्ट में तीनों आरोपियों नवाब सिंह यादव, पीड़िता की बुआ और नीलू यादव की जिला कारागार से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी हुई थी। बचाव पक्ष ने उन्नाव, कन्नौज के चार अधिवक्ताओं को खड़ा किया था। पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने बताया कि पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य और गवाह है, इसी आधार पर आरोपियों को सजा दिलाई जाएगी।