पुणे में पोर्श कार दुर्घटना के करीब एक साल बाद महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल (एमएमसी) ने सोमवार को दो डॉक्टरों के लाइसेंस निलंबित कर दिए। उन्हें मामले में सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। घटना के वक्त सरकारी ससून जनरल अस्पताल में कार्यरत डॉ. अजय टावरे और डॉ. श्रीहरि हल्नोर पर दुर्घटना में शामिल नाबालिग चालक के रक्त के नमूनों में हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया था। हादसे में दो सॉफ्टवेयर पेशेवरों की मौत हो गई थी। दोनों डॉक्टरों पर किशोर के रक्त के नमूनों को उसकी मां के नमूनों से बदलने का आरोप लगाए जाने के बाद एमएमसी ने स्वत: संज्ञान लिया था और उनसे स्पष्टीकरण मांगा था।
दो निलंबित पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने की सिफारिश
इससे पहले पुणे पोर्श केस में दो निलंबित पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की गई थी। पुणे पुलिस ने महाराष्ट्र के गृह विभाग को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें पिछले साल मई में पोर्श कार दुर्घटना के सिलसिले में निलंबित किए गए दो पुलिसकर्मियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की गई थी। मामले में शामिल किशोर को निगरानी गृह से रिहा कर दिया गया है, जबकि उसके माता-पिता, दो डॉक्टर, ससून अस्पताल का एक कर्मचारी, दो बिचौलिए और तीन अन्य जेल में हैं।
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कार ने दो मोटरसाइकिल सवार तकनीशियनों को कुचल दिया था
एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि मामला पिछले साल 19 मई की सुबह कल्याणी नगर इलाके में कथित तौर पर नशे की हालत में 17 वर्षीय एक लड़के की ओर से चलाई जा रही पोर्श कार से जुड़ा है। कार ने दो मोटरसाइकिल सवार तकनीशियनों को कुचल दिया था। येरवडा पुलिस स्टेशन से जुड़े इंस्पेक्टर राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी को उस समय देरी से रिपोर्ट करने और ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए निलंबित कर दिया गया था। आंतरिक जांच में मामला दर्ज करने में चूक और खून के नमूने एकत्र करने में देरी का भी जिक्र किया गया था।
क्या है पूरा मामला?
पुणे शहर में 18-19 मई 2024 की दरम्यानी रात को करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से दौड़ाने के चक्कर में 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी। गाड़ी की टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक अपना संतुलन खोकर काफी दूर तक सड़क पर घिसटते चली गई, जिससे उस पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद आरोपी नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी। कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था। बाद में विवाद बढ़ा तो कोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी। हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था।
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