सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।
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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का दिवंगत माफिया मुख्तार अंसारी को श्रद्धांजलि देने गाजीपुर जाने का फैसला यूं ही नहीं है। इसके पीछे की रणनीति अपने मुस्लिम वोट बैंक को और मजबूत करना है। इससे पहले सपा पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव और एमएलसी बलराम यादव को मुख्तार अंसारी की कब्र पर भेजकर सियासी पारा नाप चुकी है।
चुनाव से पहले मुख्तार की मौत से मुस्लिम समाज के बीच से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और वे इस मौत को स्वाभाविक नहीं मान रहे। मुख्तार पसमांदा मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखता था। इसलिए सपा के रणनीतिकार उसे श्रद्धांजलि देकर इस तबके के समर्थन को पुख्ता करना चाहते हैं। यह बात दीगर है कि जिस दिन मुख्तार की मौत हुई थी, उस दिन सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए सिर्फ इस तरह की घटनाओं की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में जांच की मांग की थी।
अब अखिलेश यादव 7 अप्रैल को मुख्तार अंसारी के गाजीपुर स्थित घर जाकर उसके परिजनों को सांत्वना देंगे। यहां बता दें कि मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने अंसारी बंधुओं के कौमी एकता दल का सपा में विलय नहीं होने दिया था। उन्होंने तब कहा था कि उनकी पार्टी में माफिया के लिए कोई जगह नहीं है। इतना ही नहीं कौमी एकता दल के विलय के पक्षधर रहे अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी बलराम यादव को कैबिनेट मंत्री के पद से बर्खास्त भी कर दिया था।
ओमप्रकाश राजभर भी बता चुके हैं मसीहा
प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी मुख्तार अंसारी को गरीबों का मसीहा बता चुके हैं। राजभर ने एक निजी समाचार चैनल से बात करते हुए यह भी कहा कि मैंने बहुत पहले कहा था कि मुख्तार अंसारी क्रांतिकारी नेता थे और उस बयान पर मैं अब भी कायम हूं।
ओवैसी ने भी मिलकर परिजनों को दी सांत्वना
माफिया मुख्तार अंसारी के परिवार के प्रति मुस्लिमों की सहानुभूति का ही नतीजा है कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी गाजीपुर स्थित मुख्तार के घर जाकर उनके परिवार को ढांढस बंधाया था।