रॉबर्ट्सगंज/सोनभद्र। साहित्य, कला, संस्कृति, पर्यावरण के क्षेत्र में 25 वषों से अनवरत कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के तत्वाधान में जनपद के प्रख्यात शिक्षक,शतरंज के चैंपियन राजा शारदा महेश इंटर कॉलेज के पूर्व जंतु विज्ञान शिक्षक भइया लाल सिंह को ट्रस्ट के निदेशक/इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी द्वारा माल्यार्पण कर, अंगवस्त्रम, लेखनी, स्वरचित कृति, गीता आदि उपहार प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया।
इस अवसर पर अपना विचार करते हुए ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने कहा कि गुरुजनों का आदिकाल से भारतीय समाज, संस्कृति, धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रहा है, बिना गुरु का ज्ञान संभव नहीं है, माता अगर बालक की प्रथम शिक्षिका है तो गुरु बालक के चतुर्मुखी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, कबीर दास जी ने गुरु की महत्ता का बखान करते हुए कहा है
गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़ै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥
सब धरती कागज करूँ, लिखनी सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय॥
डॉ आनंद नारायण ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-गुरु ज्ञान सर्वोपरि है और हमें अपने गुरुजनों का आदर करना चाहिए और अगली पीढ़ी को भी संस्कारित करना चाहिए।
वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञानेंद्र शरण राय ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-गुरु अपने ज्ञान के माध्यम से मनुष्य को ज्ञानवान, संस्कारवान, आस्थावान निष्ठावान समाज का योग्य नागरिक बनता है।
शिक्षक संतोष कुमार सिंह ने कहा कि- गुरु के गौरव ज्ञान के कारण हमारा देश विश्व गुरु की उपाधि से विभूषित रहा है और आज भी हम धर्म,आध्यात्म, संस्कृति के क्षेत्र में विश्व गुरु बने हुए हैं, हम सभी को अपने इस विश्व स्तरीय पद को बनाए रखने में देश का सहयोग करना चाहिए।
ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी हर्षवर्धन ने उपस्थित सभी अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया और कार्यक्रम का संचालन किया।
सम्मान कार्यक्रम में सुधा सिंह, संतोष कुमार सिंह, मनोरमा सिंह, यशवर्धन सिंह, कौशकी सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।