श्रीनगर ग्रेनेड हमला
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जम्मू-कश्मीर में हुए शांतिपूर्ण चुनाव और यहां की शांति पड़ोसी देश पाकिस्तान को रास नहीं आ रही है। वह लगातार कश्मीर में नापाक वारदातों को अंजाम देने में लगा हुआ है। दहशतगर्दों के जरिए प्रवासी लोगों को निशाना बनाए जाने के बाद श्रीनगर के रविवारीय मार्केट में हुआ ग्रेनेड विस्फोट कर एक बार फिर यहां की शांति को भंग करने की साजिश है।
श्रीनगर पिछले दो साल से शांत नजर आ रहा था। ये सोची समझी साजिश के तहत किया गया है। सूत्र बताते हैं कि शांति भंग करने के लिए ऐसा किया गया है। पाकिस्तान कश्मीर में चुनी हुई सरकार को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा। इसलिए गुलमर्ग, पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों और अब श्रीनगर को निशाना बनाकर हमला किया गया है।
पूर्व डीजीपी एस पी वैद का कहना है कि ऐसा लगता है कि पाकिस्तान कश्मीर में शांति और उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार को स्वीकार नहीं कर पा रहा। इसलिए लगातार हमले किए जा रहे हैं। खासतौर पर उन इलाकों को टारगेट किया जा रहा है। यहां पिछले कुछ वर्षों से लगातार शांति रही है। श्रीनगर का ग्रेेनेड हमला भी ऐसा ही है। आतंकियों ने जानबूझ कर भीड़भाड़ वाले इलाके में हमला किया, ताकि आम लोगों को डराया जा सके। उनका सुरक्षा एजेंसियों और सरकार पर बना विश्वास टूट जाए। हमें ऐसे हमलों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।
पूर्व ब्रिगेडियर विजय सागर का कहना है कि एक समय था। जब कश्मीर में 10 फीसदी मतदान होता था। पिछले दो चुनावों में मतदान 80 फीसदी तक पहुंचा। जो कश्मीर में शांति का प्रमाण रहा है। पाकिस्तान की सरकार इसी से आहत है कि विश्व स्तर पर कश्मीर में शांति में संदेश गया है। इसको भंग करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
श्रीनगर में तीन साल बाद हुई थी मुठभेड़
श्रीनगर में शनिवार को लश्कर कमांडर उस्मान लश्कर और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ ग्रीष्मकालीन राजधानी में 2 साल और 6 महीने के अंतराल के बाद किसी आतंकी वारदात के रूप में दर्ज हुई। इससे पहले श्रीनगर शहर में अंतिम मुठभेड़ 10 अप्रैल 2022 को हुई थी जब श्रीनगर के विशंभर नगर इलाके में मुहम्मद भाई उर्फ अबू कासिम, उर्फ मीर शोएब उर्फ मुदस्सिर और अबू अरसलान उर्फ खालिद उर्फ आदिल के रूप में दो आतंकी मारे गए थे। इसके बाद से आतंकवादी श्रीनगर शहर के विभिन्न हिस्सों में हमले करने में कामयाब रहे लेकिन कोई बड़ी मुठभेड़ नहीं हुई।