भूमि कम होने से अखाड़ों के संतों में आक्रोश है। अखाड़ों की सबसे बड़ी चिंता ने खालसों, महंतों और महांडलेश्वरों को लेकर है। कहा जा रहा है कि जब पहले से मिलने वाली भूमि -सुविधा में कमी की जा रही है, तब नए खालसों को कहां और कैसे बसाया जाएगा।
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अखाड़ा परिषद।
– फोटो : अमर उजाला।
महाकुंभ में विश्व समुदाय के बीच सबसे बड़े आकर्षण के रूप में नजर आने वाले अखाड़ों के संत और नागा संन्यासी इस बार भूमि घटने से गुस्से में हैं। बृहस्पतिवार को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने मेला प्रशासन की ओर से जारी किए गए नक्शे का वर्ष 2019 के आवंटन से मिलान कराने के बाद ही भूमि आवंटन कराने का निर्णय लिया। अखाड़ा परिषद का कहना है कि जब तक सभी 13 अखाड़ों को मिलने वाली भूमि-सुविधाओं में 25 प्रतिशत की वृद्धि की प्रशासन घोषणा नहीं करेगा, तबतक अखाड़े आवंटन के लिए नहीं जाएंगे।
भूमि कम होने से अखाड़ों के संतों में आक्रोश है। अखाड़ों की सबसे बड़ी चिंता ने खालसों, महंतों और महांडलेश्वरों को लेकर है। कहा जा रहा है कि जब पहले से मिलने वाली भूमि -सुविधा में कमी की जा रही है, तब नए खालसों को कहां और कैसे बसाया जाएगा। बृहस्पतिवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद् पुरी ने बताया कि वर्ष 2019 के मानचित्र से मौजूदा नक्शे का मिलान कराया जा रहा है। इसमें अनुभवी संतों की मदद ली जा रही है। ताकि, भूमि घटने की वजहों को जाना जा सके। अखाड़े के प्रतिनिधियों का कहना है कि आखिर उनकी भूमि चली कहां गई, इसकी पैमाइश और जांच कराई जानी चाहिए, ताकि असलियत सामने आ सके।
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