सांकेतिक तस्वीर
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शहर में मंगलवार को वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। हवा बहुत खराब होने के कारण नेहरूनगर और आसपास के मोहल्लों में एक्यूआई 305 पर पहुंच गया। दिनभर धुंध छायी रही। यह दिन बैड डे में गिना गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के रिकाॅर्ड के अनुसार जिन दिनों एक्यूआई 200 से अधिक होता है, उन्हें बैड-डे (खराब दिन) की श्रेणी में रखता है। वायु प्रदूषण का स्तर 24 घंटे ऑन लाइन मापने के लिए सीबीसीपी की तरफ से नेहरूनगर (ब्रह्मनगर), एफटीआई किदवईनगर, आईआईटी और एनएसआई में वायु प्रदूषण मापक यंत्र लगाए। इनमें से आईआईटी में लगा यंत्र खराब है, जबकि अन्य तीनों से नियमित निगरानी हो रही है। मंगलवार को दोपहर 11:05 बजे नेहरूनगर का एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 203 था, जो रात 9:05 बजे बढ़कर 305 पहुंच गया। इसी समयावधि में किदवईनगर में एक्यूआई 171 से बढ़कर 224 और एनएसआई में 208 से बढ़कर 250 रिकाॅर्ड किया गया।
वायु प्रदूषण बढ़ने के ये हैं कारण
नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के सुबह झाड़ू लगाकर कूड़ा जलाने, टूटी सड़कों में उड़ रही धूल, मेट्रो निर्माण कार्य की वजह से उड़ रही धूल, अन्य निर्माण स्थलों में धूल उड़ने, निर्माण सामग्री खुले में ले जाने, फैक्टरियों से निकल रहा धुंआ, वाहनों के धुंआ आदि हवा को जहरीला कर रहा है। नगर निगम, केडीए, पीडब्ल्यूडी, पुलिस, आरटीओ आदि विभागों की लापरवाही की वजह से वायु प्रदूषण और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए एंटी स्मॉग गनों, वाटर स्पि्रंकलरोस से दिन-रात पानी का छिड़काव कराया जा रहा है। कूड़ा जलाने पर रोक लगा दी गई है। यदि कोई कर्मचारी कूड़ा जलाता पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। – सुधीर कुमार, नगर आयुक्त
मेट्रो निर्माण स्थलों में पानी छिड़काव के नाम पर खानापूरी
मेट्रो ने निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल से निपटने के प्रयास तेज कर दिए हैं। कॉरिडोर-1 में चुन्नीगंज स्टेशन से नौबस्ता स्टेशन तक और कॉरिडोर-2 (सीएसए- बर्रा-8) के निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है। – सुशील कुमार, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन एमडी
प्रदूषण नियंत्रण के मामले में कानपुर का देश में पहले स्थान पर
पर्यावरण मंत्रालय के पोर्टल फॉर रेगुलेशन ऑफ एयर पॉल्युशन इन नॉन अटेनमेंट सिटीज (प्राना) की ओर से जारी रैंकिंग के अनुसार, कानपुर प्रदूषण नियंत्रण के मामले में देश में पहले स्थान पर आया था। पिछले वर्षों से तुलना में वर्ष 2019-20 के बाद से शहर में औसत पीएम-10 की मात्रा में लगातार सुधार हुआ है। रिकाॅर्ड के अनुसार वर्ष 2019-20 में शहर में पीएम-10 की औसत मात्रा 200 थी, जो 2020-21 में घटकर 169 हो गई। 2022-23 में 143 के स्तर तक पहुंच गई।