India-Pakistan Submarine: भारतीय नौसेना अपनी तीसरी परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी INS अरिदमन को इस साल के अंत तक शामिल करने जा रही है. यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है, जब हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान तेजी से अपनी नौसेना शक्ति बढ़ा रहे हैं. भारतीय नौसेना पहले ही INS अरिहंत और INS अरिघात जैसी दो परमाणु पनडुब्बियों को शामिल कर चुकी है.
चीन की पीएलए नेवी (PLA Navy) अब दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बन चुकी है और वह अपनी सबमरीन शक्ति बढ़ाने के लिए भारी निवेश कर रहा है. चीन के पास इस समय 6 परमाणु ऊर्जा से चलने वाली सबमरीन, 6 अटैक परमाणु पनडुब्बी, और 48 एआईपी तकनीक से लैस डीजल पनडुब्बियां हैं. ये पनडुब्बियां कई दिनों तक पानी में रह सकती हैं और चीन की योजना है कि साल 2035 तक वह अपनी सबमरीन की संख्या को 80 तक ले जाएगा.
पाकिस्तानी नौसेना का आधुनिकीकरण
पाकिस्तान भी चीन और तुर्की की मदद से अपनी नौसेना को तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है. पाकिस्तान की नौसेना में चीन की मदद से 30 अत्याधुनिक युद्धपोत और 8 हंगोर क्लास एआईपी सबमरीन को शामिल किया जा रहा है. पाकिस्तानी नौसेना की पहली हंगोर क्लास पनडुब्बी का ट्रायल पहले से ही चल रहा है, जिससे उसे उम्मीद है कि हिंद महासागर में शक्ति संतुलन बदल सकता है.
भारत की परमाणु पनडुब्बी INS अरिदमन
भारत की तीसरी परमाणु पनडुब्बी INS अरिदमन का ट्रायल पिछले 3 साल से चल रहा है, और इसे इस साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा. हालांकि, भारत की पहली अटैक परमाणु पनडुब्बी 2036 तक और दूसरी 2038 तक नेवी में शामिल होगी.
एआईपी तकनीक में भारत की प्रगति
भारत ने हाल ही में 6 कलावरी श्रेणी की पारंपरिक सबमरीन को शामिल किया है, लेकिन इन पनडुब्बियों में एआईपी तकनीक की कमी है, जिसकी वजह से ये ज्यादा समय तक पानी के नीचे नहीं रह सकतीं. अब भारत फ्रांस से 3 और कलावरी पनडुब्बियों को शामिल करने और रिफिट के दौरान एआईपी तकनीक लगाने की योजना बना रहा है. इसके अलावा, भारत जर्मनी से 6 अत्याधुनिक एआईपी सबमरीन की बातचीत भी कर रहा है.
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