Iddat Period: इद्दत अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘गिनती’. इस्लामी कानून के तहत इद्दत एक जरूरी अवधारणा होती है. आमतौर पर यह इंतजार की अवधि (Waiting Period) होती है, जिसका पालन महिला अपने पति (शौहर) की मृत्यु या तलाक के बाद करती है. इसे कुरू भी कहते हैं. कुरान में भी इद्दत का जिक्र मिलता है. कुरान की आयतें (अल-बकरा 2:234:235) में भी इद्दत के महत्व पर जोर दिया गया है. इसमें यह बताया गया है कि 4 माह 10 दिन के प्रतीक्षा की अवधि का पालन करना चाहिए.
इद्दत की प्रकिया
- शौहर की मौत के तुरंत बाद मुस्लिम महिला पुनर्विवाह नहीं कर सकती, बल्कि उसे एक निश्चित अवधि तक प्रतीक्षा करनी होती है, इसी अवधि को ‘इद्दत’ कहा जाता है.
- इद्दत की अवधि के दौरान कोई मुस्लिम महिला किसी अन्य पुरुष से विवाह नहीं कर सकती है और ना ही संबंध बना सकती है.
- जब शौहर की मौत हो जाती है, तो उसके मृत्यु की तारीख से चार महीने और दस दिन की इद्दत अवधि का पालन करना होता है.
- जब कोई महिला अपने शौहर को तलाक देती है तो इद्दत की अवधि शौहर द्वारा ‘तलाक’ शब्द कहने की तारीख से तीन महीने की होती है.
- अगर महिला इद्दत की अवधि के दौरान गर्भवती हो तो उसे बच्चे के जन्म के बाद इद्दत अवधि शुरू करनी होती है.
क्यों जरूरी है इद्दत
इद्दत विधवा मुस्लिम महिला के लिए शोक की ऐसी अवधि भी होती है जोकि उसे सामाजिक आलोचनाओं से दूर रखती है, जोकि पति की मृत्यु बाद उसे पुनर्विवाह करने पर मिल सकती थी.
इद्दत की समयावधि परिस्थिति के अनुसार बदलती है. अगर महिला और पुरुष के बीच तलाक होता है तो इद्दत की अवधि तीन माह की होती है. वहीं शौहर की मौत हो जाती है तो महिला को चार माह दस दिनों तक इद्दत करना पड़ता है. इद्दत की अवधि में मुस्लिम महिला को दूसरा निकाह करने की मनाही होती है. यदि महिला इद्दत की अवधि को पूरा किए बगैर ही दूसरा निकाह कर लेती है तो उसे शरीयत के अनुसार वैध नहीं माना जाता.
इद्दत की अवधि का पालन करना यह भी सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि, महिला गर्भवती तो नहीं है. अगर महिला गर्भवती होती है तो इद्दत की अवधि में इसका पता चल जाता है और जब तक बच्चे का जन्म नहीं हो जाता महिला दूसरी शादी नहीं कर सकती. वहीं इद्दत का समय पूरा किए बगैर महिला किसी व्यक्ति से निकाह कर ले और बाद में गर्भवती होने की बात पता चले तो बच्चे की वैधता पर भी शक रहता है.
इद्दत अवधि में मुस्लिम महिलाओं पर प्रतिबंध
इद्दत की अवधि में महिला को पति के घर पर ही रहना होता है. इद्दत के दौरान महिलाएं सादगीपूर्ण जीवन जीती हैं. वो चमक-दमक और साज-सजावट जैसी चीजों से दूर रहती है. अधिक चमकीले या रेशमी कपड़े नहीं पहनती. बहुत जरूरी होने पर ही महिला इद्दत की अवधि के दौरान घर से बाहर जा सकती है. इद्दत की अवधि में महिला केवल ऐसे पुरुष के साथ ही बाहर जा सकती है, जिसके साथ ही इस्लामी कानून के अनुसार वह निकाह नहीं कर सकती.
तलाक और पति की मृत्यु के मामले में इद्दत
- तलाक और पति की मृत्यु दोनों ही स्थिति में मुस्लिम महिल को इद्दत के नियमों का पालन करना पड़ता है, लेकिन दोनों स्थिति के अनुसार इद्दत की अवधि में अंतर होता है.
- पति की मृत्यु के तुरंत बाद इद्दत की प्रकिया शुरू हो जाती है. शौहर की मौत के बाद इद्दत की अवधि चार चंद्र मास और दस दिनों की होती है.
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