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एक्टिंग की दुनिया का वो सितारा, जिसकी आंखों में देखते ही हीरोइन थर-थर कांपने लगती थीं. फिल्मों में वो कभी विलेन तो कभी हीरो बनकर सामने आया था. हीरो बनना एक्टर के नसीब में नहीं था, इसलिए विलेन बनकर पहचान बनाई. लेकिन बेटे का करियर 4 फिल्मों में ही सिमट कर रह गया.
हम जिस जाने माने एक्टर की बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं, भूरी आंखों वाले खलनायक कमल किशोर कपूर हैं. उन्होंने अपने करियर में 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. उन्होंने अपने हर किरदार में जान फूंक दी थी.

कमल कपूर का नाम इडंस्ट्री में खूब चला. लेकिन उनके बेटे कपिल कपूर का करियर कुछ खास सफल नहीं हो पाया. . कपिल ने अपने पिता की तरह बॉलीवुड में अपना करियर तलाशा और निराशा हाथ लगी.

वहीं, कमल कपूर ने हिंदी सिनेमा में अपनी खलनायकी से धाक जमाए रखी. आज भी उन्हें उनके किरदारों के लिए याद किया जाता है. वह हिंदी सिनेमा के सफल एक्टर्स में से एक हैं. लेकिन उनके बेटे को वो सफलता नसीब नहीं हुई.

कमल कपूर के बेटे कपिल कपूर ने भी इडंस्ट्री में काम किया है, लेकिन उन्होंने एक्टिंग की राह चुनने के बजाय डायरेक्टर बनकर सिनेमा में एंट्री ली. उन्होंने बतौर डायरेक्टर कुल चार फिल्मों में काम किया, जिनमें से दो फिल्मों में उन्होंने खुद भी एक्टिंग की थी.

इसके अलावा उन्होंने खेल-खेल में (1977), पुकार (1983) और चोर पे मोर (1992) जैसी फिल्में बनाई थी. बतौर एक्टर छोड़िए , बतौर डायरेक्टर भी कपिल अपने पिता के स्टारडम को छू नहीं पाए.

गौरतलब है कि चार फ्लॉप देने के बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया से किनारा कर लिया था, इसके बाद उन्होंने कई टीवी शो भी बनाए. एक्टर के पिता कमल कपूर राज कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर के चचेरे भाई थे और रणबीर कपूर के चचेरे परदादा थे.
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