रवि प्रदोष व्रत का सीधा संबंध सूर्य देव से है. ऐसे में जिसकी भी कुंडली में सूर्य कमजोरी स्थिति में होता है उन्हें रवि प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए. इससे करियर में लाभ मिलता है, खोया सम्मान दोबारा प्राप्त होता है.
चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर हिंदू कैलेंडर का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा. प्रदोष व्रत में शिव पूजा संध्याकाल में की जाती है. इस बार चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल 2024 को रात 10.41 मिनट पर शुरू होगी और 22 अप्रैल 2024 को प्रात: 01.11 मिनट पर होगा.
हिंदू नववर्ष का पहला रवि प्रदोष व्रत 21 अप्रैल 2024 को रखा जाएगा. क्योंकि इस दिन शिव जी की उपसाना प्रदोष काल में होती है. सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहलाता है.
रवि प्रदोष व्रत के दिन 21 अप्रैल 2024 को शिव पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 06.51 से रात 09.02 तक है. ये व्रत गौ दान करने के समान फल देता है.
रवि प्रदोष व्रत वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. ऐसे में शिव पूजा करने वालों को कई गुना लाभ मिलेगा. कार्य सिद्ध होंगे. पूजा सफल होगी.
जो लोग शनि दोष से पीड़ित है उन्हें रवि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर 108 बेलपत्र चढ़ाना चाहिए और जलाभिषेक करना चाहिए. इससे शनि कष्ट नहीं देते.
Published at : 19 Apr 2024 06:21 PM (IST)
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