संयुक्त राष्ट्र महासभा
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संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की तारीफ की है। भारत की तरक्की का उदाहरण देते हुए डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि भारत का विकास इस बात का उदाहरण है कि डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर सामाजिक परिवर्तन और प्रगति का वाहक है और अगर समावेशी तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो ये सभी को समान अवसर मुहैया करा सकता है।
भारत में डिजिटल ढांचे से विकास में आई तेजी
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने महासभा के 78वें सत्र के दौरान अपने संबोधन में कहा कि ‘इस साल जनवरी में उन्होंने भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने देखा कि भारत में डिजिटल बुनियादी ढांचा का व्यापक विस्तार हुआ है और इससे लाखों लोग, जो पहले आर्थिक व्यवस्था से बाहर थे, उन्हें डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास से वित्तीय स्वतंत्रता और समृद्धि हासिल हुई है।’ उन्होंने कहा ‘जिस तरह से आर्थिक विकास के लिए बुनियादी ढांचे की जरूरत है, उसी तरह से डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के वाहक के रूप में उभरा है। इसे समावेशी तरीके से लागू करके सभी को समान अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।’
दुनिया के 60 फीसदी डिजिटल लेनदेन भारत में
फ्रांसिस ने कहा कि केवल सात वर्षों में भारत ने अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास से अपने नागरिकों के लिए 80 प्रतिशत से अधिक वित्तीय समावेशन हासिल किया है, जो कि दुनिया भर में सभी डिजिटल लेनदेन का 60 प्रतिशत से भी ज्यादा है। डिजिटल लेनदेन की व्यवस्था ने कई समस्याओं को खत्म कर दिया है। इससे वित्तीय क्षेत्र में पहुंच और सामर्थ्य बढ़ा है। नागरिक स्टैक जैसे मॉडल दक्षिण एशिया के सभी देशों में लागू होने चाहिए। इससे लोगों को सशक्त बनाने में, विशेष रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
भारत प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल में वैश्विक नेता बना
डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि दुनिया की तीन अरब आबादी ने कभी भी इंटरनेट का उपयोग नहीं किया है। ऐसे में अंतर सरकारी स्तर पर इस डिजिटल विभाजन को खत्म करने और एक तिहाई आबादी को डिजिटल बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना प्राथमिकता होनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रशासक अचिम स्टीनर ने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में वैश्विक नेता बन गया है।