कबीरचौरा स्थित कबीर मठ।
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श्रमसाधक कबीर के मठ में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विरासत के साथ ही संपत्ति का विवाद पिछले दो दशक से कबीरपंथ के मठों में बना हुआ है। कहीं जमीन के लिए तो कहीं गद्दी के लिए कबीरपंथी एक दूसरे के विरोधी बने हैं।
देश भर में कबीरचौरा मूलगादी मठ से जुड़ी सैकड़ों बीघा भूमि माफिया और साधुओं की मिलीभगत से विवादों में है। कबीरचौरा मूलगादी में जमीन, गद्दी और विरासत का विवाद 2010 में शुरू हुआ। लहरतारा मठ के महंत गोविंददास शास्त्री के अनुसार 2010 में महंत विवेकदास ने मठ से जुड़ी कुछ जमीन बेच दी। इस पर पूर्व महंत गंगाशरण शास्त्री ने नाराजगी जताई तो उनको षड़यंत्र के तहत जेल भिजवा दिया गया।
महंत विवेक दास ने 2022 में लहरतारा मठ से जुड़ी कुछ जमीनों का सट्टा कर दिया तो महंत गोविंद शास्त्री ने आपत्ति जताई तो उनको भी कई मामलों में फंसाकर जेल भेज दिया गया। महंत गोविंद शास्त्री ने बताया कि मूलगादी में कुछ साल पहले तक 70 से 80 साधु नियमित रहा करते थे, लेकिन विवाद बढ़ने के बाद आज महज 10 लोग ही रह गए हैं।