अनपरा/सोनभद्र। महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। एक ऐसा राजपूत सम्राट जिसने जंगलों में रहना पसंद किया लेकिन कभी विदेशी मुगलों की दासता स्वीकार नहीं की। उन्होंने देश, धर्म और स्वाधीनता के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया। उक्त विचार श्री राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा द्वारा गुरुवार को काशी मोड़ स्थित होटल डीडी पैलेस मे आयोजित संगोष्टी मंे वक्ताओ ने कही।
कार्यक्रम का शुभारम्भ महाराणा प्रताप व मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता आर डी सिंह, विजय प्रताप सिंह, राजेश प्रताप सिंह, शेखर सिंह, संजय प्रताप सिंह, मुन्ना सिंह आदि ने कहा कि आज भी महाराणा प्रताप को एक बहादुर और वीर योद्धा के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपने लोगों और उनकी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। शौर्य और साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप और अन्य योद्धाओं का जीवन प्रेरक था। इनके योगदान की जानकारी युवा पीढ़ी तक पहुंचनी चाहिए। महाराणा प्रताप के शौर्य से जन-जन को अवगत करवाना जरूरी है। संगोष्ठी में महाराणा प्रताप के योगदान को रेखांकित किया गया।
राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश महामंत्री शेषनाथ सिंह ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप ने अकबर के सामने कभी घुटने नहीं टेके, इसके एवज में वह परिवार संग जंगलों में भटके। उनके शौर्य और वीरता की कहानी इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। जिला पंचायत सदस्य बालकेश्वर सिंह, जिला उपाध्यक्ष दीपक सिंह, नगर अध्यक्ष दया शंकर सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप जयंती अत्याचार के खिलाफ बहादुरी और प्रतिरोध की भावना का जश्न मनाने का दिन है। यह भारत के लोगों को स्वतंत्रता और संप्रभुता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है जिसकी रक्षा के लिए महाराणा प्रताप ने बहुत संघर्ष किया। हम उनकी वीरता को याद करें और उनके पदचिन्हों पर चलने का प्रयास करें।
इस अवसर पर मधुसूदन सिंह, सत्य प्रकाश सिंह, अजीत सिंह, सुरेश सिह, प्रदीप सिंह, रणधीर सिंह, अरविन्द सिंह, सतेंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह, सुजीत सिंह, विनोद सिंह, गणेश सिंह, धनंजय सिंह, कृष्णा सिंह समेत ककरी, बीना, खड़िया, शक्तिनगर, रेनूकुट के तमाम गणमान्य लोग मौजूद थे।