इलाहाबाद लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद उज्ज्वल रमण सिंह।
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इलाहाबाद सीट पर भाजपा के चुनावी रण में इस बार पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी का करिश्मा काम नहीं आया। योगी-मोदी के सुशासन और कानून-व्यवस्था पर यमुनापार की जनता का मिजाज भारी पड़ गया। यही वजह थी कि 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक नहीं चल सका। शहर दक्षिणी को छोड़ यमुनापार के चार विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का विजय रथ रुक गया। सात राज्यों के सियासी रणनीतिकारों का पखवाड़ेभर से अधिक समय तक विधानसभावार कैंप करना, दिन रात गांव-गांव दस्तक देने की रणनीति जातीय समीकरणों के आगे ध्वस्त हो गई।
देश के दूसरे पीएम लालबहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, जनेश्वर मिश्र, अमिताभ बच्चन जैसी हस्तियों को देने वाली इलाहाबाद सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए इस बार भाजपा ने हर जतन किए। मोदी की जहां परेड मैदान में रैली हुई, वहीं मेजा में गृहमंत्री अमित शाह ने इलाहाबाद सीट को जिताने के लिए जनता से कई बार हामी भरवाई थी। योगी ने करछना में सभा कर हुंकार भरी थी।
पश्चिम बंगाल समेत चार राज्यों के राज्यपाल रहे पं.केशरीनाथ त्रिपाठी के पुत्र नीरज त्रिपाठी को पहली बार सियासीरण में उतारने के बाद भाजपा ने जीत के लिए संगठनात्मक स्तर पर घेरेबंदी में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके लिए सात राज्यों के 25 से अधिक संगठन और सरकार के रणनीतिकारों को जिम्मेदारी दी गई। इसमें सबसे अधिक 12 नेता गुजरात के यहां भेजे गए।