पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
विवाह जो पूरी तरह से टूट चुका है, उसे समाप्त करते हुए तलाक का आदेश पारित न करना दोनों पक्षों के लिए क्रूरता है। ऐसे रिश्ते में प्रत्येक पक्ष एक-दूसरे के साथ क्रूरता से पेश आता है। टूटी हुई शादी के दिखावे को जिंदा रखना दोनों पक्षों के साथ अन्याय होगा।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने तलाक के एक आदेश पर मोहर लगाते हुए यह अहम टिप्पणी की है। साथ ही इस मामले में बिल्डर को गुजारे भत्ते के तौर पर पत्नी को 8 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश भी जारी किया है। बिल्डर की पत्नी ने हिसार की फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पति की याचिका को मंजूर करते हुए तलाक को मंजूर किया गया। ब्यूरो
आरोप कष्टकारी होंगे
हिसार की फैमिली कोर्ट ने 2018 में तलाक की मांग को स्वीकार कर लिया। इसके खिलाफ महिला की अपील पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि एक पति या पत्नी द्वारा दूसरे के खिलाफ दहेज की मांग या घरेलू हिंसा के निराधार/अपुष्ट आरोप किसी के लिए भी कष्टकारी होंगे। फैमिली कोर्ट के तलाक के आदेश को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पति याची को नियमित 5 लाख रुपये महीना गुजारा भत्ता दे रहा है। पति की कंपनी का टर्नओवर लगभग 2,500 करोड़ रुपये है।
डॉक्टर पत्नी पर आरोप, बच्चों पर नहीं करती थी खर्च
पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया था कि उसका विवाह 1995 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था और उनके दो बच्चे हुए। पत्नी शुरुआत से ही असभ्य, झगड़ालू व क्रूर थी। पत्नी ने दावा किया था कि वह उसके साथ रहना चाहती है और इसी के चलते उसने कर्ज लेकर हिसार में एक घर खरीदा। पत्नी बीएएमएस डॉक्टर थी और अच्छी कमाई कर रही थी। उसने अपने बच्चों की शिक्षा या पालन-पोषण पर पैसा खर्च नहीं किया।