शक्तिनगर/सोनभद्र। शक्तिनगर से लेकर अनपरा तक अनेक बड़ी परियोजनाओं के लिए प्रतिदिन भारी वाहन कोल और राखड़ का परिवहन करते नजर आते हैं। जहां वाहनों से गिरती कोल डस्ट और राखड़ सड़कों पर पटी रहती है। यहां कोल डस्ट से लबालब रहती परतें सड़कों पर बिखरी रहती है। और इनसे उठने वाले गुबार से राहगीरों का दम घुटता रहता है। इसके बाद भी रोड से कोल डस्ट की सफाई करने की सुध न तो संबंधित परियोजना प्रबंधन लेता है और नही नगर व ग्राम पंचायतों के माध्यम से सड़कों की सफाई की जाती है। लोगों का कहना है कि कायदे से यह जिम्मेदारी तो परियोजना प्रबंधन और परिवहन से जुड़े जिम्मेदारों की है। कोल डस्ट से लबालब रहने वाला 16 किलोमीटर का यह मार्ग जिसे किलर रोड कहा जाता है के हालातों का अंदाजा यहां से गुजरने वालों को सहजता से पता चलता है, जहां दिनभर धूल के गुबार उड़ते रहते हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा नहीं कि एनसीएल कि खड़िया, बीना, ककरी, कृष्णशिला और अनपरा तापीय परियोजना तथा लैंकों परियोजना के पास कोल डस्ट की सफाई के लिए स्वीपिंग मशीन न हों। इन परियोजनाओं ने लाखों रूपये खर्च करके कुछ साल पहले रोड स्वीपिंग मशीन खरीदी, लेकिन इन मशीनों से यदाकदा ही सफाई की जाती है। लोगों का कहना है कि जब से यह मशीन आयी है तब से इसे बमुश्किल कुछ ही बार ही इन्हें सड़कों पर चलता देखा गया है। कहा जाता है कि जब वीवीआईपी का आगमन होता है तो ही इस मशीन को सड़क पर उतारा जाता है। इसके बाद से यह में मशीन अपना मूल कार्य छोडक़र फिर से आराम फरमाती रहती हैं।