Bangladesh Violence: बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से हटाने की मांग को लेकर फिर से बवाल मच गया है. रविवार (चार अगस्त, 2024) को पड़ोसी मुल्क में हुई ताजा झड़पों में कम से कम 32 लोगों के मारे जाने की खबर (राजधानी ढाका, बोगुरा, पबना, रंगपुर, मगुरा, कोमिला, बरिसल और फेनी आदि इलाकों में) है, जबकि ऐहतियाती तौर पर समूचे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है.
अलजजीरा की रिपोर्ट में बताया, “प्रदर्शनकारी अपनी मांग को लेकर अडिग थे और वो कह रहे थे कि जब तक सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे. लोग इस बात को लेकर भी काफी चिंतित हैं कि अब आगे क्या होने वाला है. मौके पर लगातार प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ती ही जा रही है.”
प्रदर्शनकारियों की देश की आवाम से अपील
रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने देश की आवाम से आग्रह किया कि वे टैक्स, उपयोग किए गए किसी भी बिल का भुगतान न करें और रविवार को बांग्लादेश में कोई भी लोग काम पर न जाएं. इस अभियान के एक प्रमुख नेता आसिफ महमूद ने समर्थकों से लड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि बांस की लाठियां तैयार करो और बांग्लादेश को आजाद कराओ.
इससे पहले जो विरोध प्रदर्शन किया गया था, उसमें व्यवस्था को बहाल करने में सेना की मदद ली गई थी, लेकिन उसके बाद कुछ सेना के कुछ पूर्व अधिकारी भी छात्र आंदोलन में शामिल हो गए. बंग्लादेश के सेना प्रमुख वकर-उज-जमान ने सैन्य मुख्यालय में अधिकारियों से बात करते हुए कहा कि बांग्लादेश की सेना लोगों के विश्वास का प्रतीक है.
बंग्लादेश सेना प्रमुख ने शनिवार देर रात बयान जारी कर कहा कि सेना हमेशा लोगों की खातिर और राज्य की किसी भी जरूरत के लिए खड़ा रहा है. हालांकि बयान में यह साफ नहीं किया गया कि सेना इस प्रदर्शन के समर्थन में है या विरोध में.
पिछले महीने नौकरी में आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए 200 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. प्रदर्शनकारी मारे गए लोगों के लिए जो जिम्मेदार हैं उन पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. बांग्लादेश में फिर से भड़की हिंसा के बाद देश में फिर से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है.
कब शुरू हुआ छात्रों का आंदोलन?
बंग्लादेश में जुलाई में आरक्षण को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था. बांग्लादेश में लिबरेशन मूवमेंट में शामिल लोगों के परिवारों को दिए जाने वाले रिजर्वेशन के खिलाफ ये लोग सड़क पर उतरे थे. हालांकि बाद में फिर वहां की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया जिसके बाद सरकार ने आरक्षण के कोटो को 30 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दो दिया, लेकिन विरोध प्रदर्शन फिर भी थम नहीं रहा.
ढाका में शनिवार को जब लाखों लोग ढाका में मार्च कर रहे थे, तो पुलिस मूकदर्शक बनी हुई थी और विरोध रैलियों को देख रही थी. प्रदर्शनकारी असहयोग आंदोलन के पहले दिन राजधानी के साइंस लैब चौराहे पर भी एकत्र हुए और उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए. विरोध प्रदर्शन के संयोजकों ने बताया कि ढाका के साइंस लैब, धानमंडी, मोहम्मदपुर, टेक्निकल, मीरपुर-10, रामपुरा, तेजगांव, फार्मगेट, पंथपथ, जतराबाड़ी और उत्तरा में भी प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की जाएंगी.
समाचारपत्र डेली स्टार के अनुसार, रविवार को बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी (बीएसएमएमयू) में अज्ञात लोगों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. खबर के अनुसार, लाठी-डंडे लिए लोगों को अस्पताल परिसर में निजी कार, एम्बुलेंस, मोटरसाइकिलों और बसों में तोड़फोड़ करते देखा गया, जिससे मरीजों, तीमारदारों, चिकित्सकों और अन्य कर्मियों में भय पैदा हो गया. (इनपुट पीटीआई से भी)
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