अक्सर देखा गया है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को खासा परेशानी झेलनी पड़ती है। इस दौरान यह दर्द और बढ़ जाता है जब उन्हें ऑफिस जाकर काम करना पड़ता है। ऑफिस में उन्हें तमाम परेशानियों से गुरजना पड़ता है, जिससे वह घर पर बच सकती है। ऐसे में आज उन सभी महिलाओं के लिए खुशखबरी है। ओडिशा सरकार ने बड़ी घोषणा की है कि राज्य में सरकारी हो या प्राइवेट ऑफिस सभी जगह उन्हें पीरियड्स के दौरान छुट्टी दी जाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने की घोषणा
उपमुख्यमंत्री पी.परिदा ने गुरुवार को सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र की महिला कर्मचारियों के लिए एक दिन के मेंस्ट्रुअल लीव (माहवारी अवकाश) की घोषणा की। हालांकि, यह अवकाश ऑप्शनल होगा। परिदा के पास महिला एवं बाल विकास विभाग का भी चार्ज है। उन्होंने कटक में स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में भाग लेने के बाद यह ऐलान किया। उन्होंने कहा, ‘‘महिला कर्मचारी मासिक धर्म चक्र के पहले या दूसरे दिन छुट्टी ले सकती हैं। लेकिन यह अवकाश ऑप्शनल होगा।’’
उड़िया लड़की ने उठाई थी मांग
जानकारी दे दें कि केन्या के नैरोबी में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सिविल सोसाइटी कॉन्फ्रेंस 2024 में एक उड़िया लड़की ने पीरियड्स के दौरान पेड लीव की मांग करते हुए आवाज उठाई थी। साथ ही राज्य की महिला कार्यकर्ता रंजीता प्रियदर्शनी ने भी पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पेड़ लीव देने के संबंध में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सभी प्रतिनिधियों के सामने यह बात रखी थी। उन्होंने तर्क दिया कि दुनिया भर में महिलाएं मेंस्ट्रुशन के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करती हैं।
इन राज्यों में मिलता है पहले से लीव
जानकारी दे दें कि ओडिशा से पहले बिहार और केरल में मेंस्ट्रुअल लीव दी जाती है। बिहार सरकार ने साल 1992 में पीरियड लीव देने की पॉलिसी बनाई थी। इसके तहत महिलाओं को हर माह 2 दिन का पेड मेंस्ट्रुअल लीव मिलता है। वहीं, केरल ने साल 2023 में, सभी यूनिवर्सिटीज और संस्थानों की छात्राओं को पीरियड लीव देने का प्रावधान बनाया है।
इस मुद्दे पर हो चुका है हंगामा
देश में समय-समय पर पीरियड लीव की मांग होती रही है, हालांकि इस बार विवाद भी होता रहा है। पिछले साल तत्कालीन महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस मामले पर कुछ ऐसा कहा था कि पूरे देश में विवाद पैदा हो गया था। स्मृति ईरानी ने कहा था कि ‘पीरियड्स के लिए छुट्टी की जरूरत नहीं है। ये कोई बीमारी या विकलांगता नहीं है।’ ईरानी ने आगे कहा था कि मासिक धर्म जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है और इसे विशेष अवकाश प्रावधानों की जरूरत वाली बाधा के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
(इनपुट- पीटीआई)
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