रॉबर्ट्सगंज/सोनभद्र। ब्रह्माकुमारी संस्था की ओर से जिले के विभिन्न स्थानों पर एक सप्ताह तक रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया। ब्रह्माकुमारी बहनों ने जिला कारागार में कैदियों एवं अन्य लोगों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर सकारात्मक जीवन जीने का संकल्प दिलाया। ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की केंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी सुमन बहन ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था में रक्षाबंधन का त्योहार मूल्य और आत्मीय मर्यादाओं को बंधन में बंदकर मानवता की सेवा के दिवस के रूप मे मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि मर्यादाओं का बंधन मनुष्य जीवन में रोग, शोक और विकारों को मुक्त कर देता है। मन निर्मल विकारों से मुक्त हो जाता है, क्योंकि यह पर्व मनुष्य आत्माओं को उच्च नैतिक मर्यादाओं के बंधन में बंद कर सर्वनारी जगत की रक्षा करने का दिव्य संदेश देता है। इसी संकल्प को लेकर रक्षाबंधन का त्योहार विभिन्न स्थानों पर मनाया गया।
उन्होंने कहा कि रक्षा बंधन पर्व के उपलक्ष्य में एक सप्ताह तक कार्यक्रम चलाया गया। 13 अगस्त को ओबरा, 14 अगस्त को दुद्धी, 15 अगस्त को रेनूकुट मे समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को राखी राखी बांधकर विकारों के दान का संकल्प पत्र लिया गया। 16 अगस्त को ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र रॉबर्ट्सगंज की सेवा केंद्र संचालिका बीके सुमन बहन के नेतृत्व में जिला चिकित्सालय लोढी रॉबर्ट्सगंज में 130 रोगियों के साथ, चिकित्सको, नर्सो एवं स्टाफ को राखी बाँधी गई। 17 अगस्त को पत्रकार भाई बहनों को राखी बांधी गई। वहीं रविवार को ब्रह्माकुमारी सुमन बहन के नेतृत्व में ब्रह्मकुमारी बहनों द्वारा गुर्मा स्थित जिला कारागार में लगभग 400 कैदियों को राखी बांधकर प्रसाद वितरण करके मानवीय कमजोरी और मनोविकारों को दान करने का संकल्प दिलाया गया। जेल अधीक्षक सौरभ श्रीवास्तव तथा जेलर जेपी दुबे के सहयोग से ब्रह्मकुमारी बहनों ने कैदियों को जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में ईश्वरीय ज्ञान और राजयोंग की भूमिका को स्पष्ट किया। इसके पश्चात मारकुण्डी स्थित वृद्ध आश्रम में 25 पुरुष और 20 महिलाओं को राखी बांधने के बाद ईश्वरीय संदेश दिया गया। 19 अगस्त को रॉबर्ट्सगंज सेवा केंद्रपर समाज के सभी बुद्धिजीवी वर्ग को राखी बांधकर मानवीय कमजोरियो के दान का संकल्प पत्र लिया गया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बीके प्रतिभा बहन,बीके सीता बहन, सरोज बहन,कविता बहन, दीपशिखा बहन, अवधेश भाई, हरिन्द्र भाई का सहयोग रहा।