Hayagriva Avatar: हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के अवतारों में से एक है हयग्रीव अवतार (Hayagriva avatar). शास्त्रों के अनुसार, श्रावण मास (Sawan purnima) की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु (Vishnu avatar) हयग्रीव रूप में अवतरित हुए थे.
भगवान विष्णु के हर अवतार के पीछे एक दिलचस्प कथा है, जानें आखिर क्यों भगवान विष्णु ने लिया हयग्रीव अवतार ? इनकी उत्पत्ति कैसे हुई यहां जानें.
हयग्रीव अवतार कब हुआ ?
सावन पूर्णिमा पर श्रीहरि ने घोड़े के सिर वाले मानव शरीर का रूप धारण कर पृथ्वी पर अवतरित होकर अधर्म और अत्याचार का दमन किया था. भगवान हयग्रीव का सिर घोड़े का और धड़ मनुष्य का है.
कैसे हुई भगवान हयग्रीव की उत्पत्ति ? (Hayagriva avatar origin)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु से अत्यंत क्रोधित हो गईं और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि उनका सिर धड़ से अलग हो जाए. उनके श्राप के कारण भगवान विष्णु का सिर धड़ से नीचे गिर पड़ा.
इसके बाद ब्रह्म देव के सुझाव पर देवशिल्पी विश्वकर्मा ने भगवान विष्णु के धड़ पर घोड़े का मुख लगाया. इस तरह से भगवान विष्णु के हयग्रीव स्वरूप की उत्पत्ति हुई.
भगवान विष्णु ने क्यों लिया हयग्रीव अवतार ? (Hayagriva avatar katha)
पौराणिक कथा के अनुसार मां भगवती के वरदान से हयग्रीव नाम का दैत्य अजेय हो गया था. त्रिलोक में ऐसा कोई भी नहीं था, जो उसे हरा सके. देवताओं के साथ उसने ऋषि मुनियों पर अत्याचार करने शुरू कर दिए. ब्रह्म देव से वेदों को चुरा कर समुद्र में फेंक दिया, ताकि धर्म कार्य जैसे पूजा, हवन, यज्ञ आदि न होने पाये. इसी दैत्य से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने हयग्रीव अवतार लिया था और समुद्र से चारों वेद सुरक्षित ले आए.
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