मां गंगा हर वर्ष सावन के महीने में श्री बड़े हनुमान जी ( लेटे हनुमान) मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर हनुमान जी को स्नान कराती हैं। इस परंपरा को बचाए रखने के लिए निर्माणाधीन हनुमान मंदिर कॉरिडोर की डिजाइन में बदलाव किया जा रहा रहा है। निर्माण का प्रारूप इस तरह से होगा कि मां गंगा मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर सकें और यह परंपरा कायम रह सकते।
श्री बड़े हनुमान मंदिर में गंगा जी पहुंचीं।
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संगमनगरी में लेटे हनुमान को गंगा स्नान कराने की परंपरा टूटने से बचाने के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने हनुमान मंदिर कॉरिडोर परियोजना की डिजाइन में बदलाव कर दिया है। अब इस कॉरिडोर के बनने के बाद बाढ़ के दिनों में गंगा का प्रवाह गर्भगृह के पास बाधित नहीं होगा। इस कॉरिडोर के निर्माण से बाढ़ के समय गंगा का प्रवाह रुकने की आशंका थी। बाढ़ में गंगा की लहरें मंदिर में प्रवेश कर हनुमान जी को स्नान कराएं, इसके लिए एलिवेटेड बाउंड्रीवाल बनाई जाएगी। इस बाउंड्री के नीचे का हिस्सा खुला रहेगा ताकि, मंदिर में गंगा के प्रवेश करने की परंपरा न टूटने पाए। इसके लिए कॉरिडोर की डिजाइन में यह बदलाव किया गया है।
बारिश के माैसम में गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़कर लेटे हनुमान मंदिर तक पहुंचता है। फिर हनुमान जी को स्नान कराकर लाैट जाता है। दशकों से यह परम्परा चली आ रही है। इस घटना को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। अब वहां पर काॅरिडोर बन जाएगा तो बाढ़ का पानी मंदिर में घुसने से रोक दिया जाएगा। ऐसे में काॅरिडोर के नक्शे में मामूली बदलाव करते हुए बाउंड्रीवाल एलीवेटेड बनाने की तैयारी है, जिससे बाढ़ का पानी मंदिर तक पहुंचता रहे।
लेटे हनुमान मंदिर का काॅरिडोर बनाने के लिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने सेना से वहां की 11,186 वर्ग मीटर (2.76 एकड़) जमीन ली। इस जमीन के बदले पीडीए को नीवां के जाह्नवीपुरम आवासीय योजना में में 64 करोड़ रुपये की 19 हजार वर्गमीटर जमीन सेना को देनी पड़ी है। जमीन के लिए अदला-बदली की सहमति होने के बाद पिछले दिनों निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। काॅरिडोर निर्माण का ठेका यूनिवस्तु बूट्स इंफ्रा लिमिटेड को मिला है। वह कंपनी 38.18 करोड़ से दो चरणों में काम पूरा करेगी।