अग्रिम आरक्षण की अवधि 120 दिन के स्थान पर 60 दिन
लखनऊ। अपने सम्मनित यात्रियों की सुविधा के दृष्टिगत रेलवे द्वारा अग्रिम आरक्षण की अवधि में बदलाव किया गया है अब यह अवधि 120 दिनों से घटाकर 60 दिन कर दी गई है।
ज्ञात हो कि रेलवे की अग्रिम आरक्षण अवधि में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं। अग्रिम आरक्षण अवधि 30 दिन से लेकर 120 दिन तक की रही है। विभिन्न अवधियों के अनुभव के आधार पर, यात्रियों की दृष्टि से 60 दिन की अग्रिम आरक्षण अवधि सबसे उपयुक्त अवधि मानी गयी है। विभिन्न समय अन्तराल पर अग्रिम आरक्षण की अवधि-अप्रैल, 1981 से जनवरी, 1985 तक 120 दिन रही, दिनांक 01.02.1985 से 31.08.1988 तक 90 दिन रही, दिनांक 01.09.1988 से 30.09.1993 तक 60 दिन रही, दिनांक 01.10.1993 से 30.06.1995 तक 45 दिन रही, दिनांक 01.09.1995 से 31.01.1998 तक 30 दिन रही, दिनांक 01.02.1998 से 28.02.2007 तक 60 दिन रही, दिनांक 01.03.2007 से 14.07.2007 तक 90 दिन रही, दिनांक 15.07.2007 से 31.01.2008 तक 60 दिन रही, दिनांक 01.02.2008 से 09.03.2012 तक 90 दिन रही, दिनांक 10.03.2012 से 30.04.2013 तक 120 दिन रही, दिनांक 01.05.2013 से 31.03.2015 तक 60 दिन रही और दिनांक 01.04.2015 से 31.10.2024 तक 120 दिन रही है।
बतादें कि 60 दिनों की आरक्षण अवधि से यात्रियों को विभिन्न पहलुओं पर लाभ होंगे। जैसे 120 दिन योजना बनाने के लिए बहुत लंबे थे, जिसके परिणामस्वरूप यात्रियों के यात्रा पर न आने के कारण बहुत अधिक निरस्तीकरण और सीटों/बर्थों की बर्बादी होती थी। वर्तमान में, लगभग 21% निरस्तीकरण और 4-5% यात्री यात्रा पर नहीं आते। कई मामलों में, यह देखा गया है कि यात्री अपने टिकट निरस्त नहीं करते हैं और यात्रा पर नहीं आते हैं। इससे यात्री के स्थान पर दूसरे यात्री के यात्रा करने एवं भ्रष्ट आचरण की सम्भावन बनी रहती है। अब, इसे रोका जा सकता है। लंबी अवधि के साथ कुछ लोगों द्वारा टिकट ब्लोकिंग की संभावना अधिक हो जाती है। छोटी अवधि वास्तविक यात्रियों द्वारा अधिक टिकट खरीदने को प्रोत्साहित करेगी। अवधि का सामान्य श्रेणी के टिकटों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि वे यात्रा से ठीक पहले खरीदे जाते हैं। कम निरस्तीकरण और नो-शो के कारण मांग की बेहतर दृश्यता के साथ, रेलवे पहले से ही अधिक विशेष ट्रेनों की योजना बना सकता है।