Predictions 2024: देश की सुरक्षा में सेना का योगदान किसी से छिपा नहीं है. देश के प्रहरी की सजगता से ही देश के आम नागरिक चैन की नींद सोते हैं. बीते 20 अक्टूबर को ब्रह्मांड में एक बड़ा परिवर्तन हुआ है. जिसका संबंध सेना और युद्ध से है. ज्योतिष शास्त्र में सेना, शौर्य और युद्ध का कारक ग्रह ‘मंगल’ को बताया गया है.
ज्योतिष के अनुसार जब मंगल कुंडली में मजबूत होता है तो व्यक्ति साहसी होता है. ऐसा व्यक्ति युद्ध कला में निपुण होता है और युद्ध की रणनीति बनाने में माहिर होता है. ज्योतिष में किसी भी देश की सैन्य शक्ति विश्लेषण करने के लिए मंगल की स्थिति का आंकलन किया जाता है.
भारत की कुंडली में पर नजर डाले तो पाएंगे कि भारत देश की कुंडली में मंगल मिथुन राशि में स्थिति है. भारत की कुंडली वृषभ लग्न की कुंडली है जो एक स्थिर लग्न है. कुंडली का तीसरे भाव से पराक्रम, पड़ोसी और सहयोगियों का विचार किया जाता है. भारत की कुंडली के तीसरे भाव में कर्क राशि विराजमान है. 20 अक्टूबर 2024 से यहां पर मंगल गोचर आरंभ हुआ है. ज्योतिष शास्त्रों में कर्क राशि को मंगल की नीच राशि बताया गया है.
कर्क राशि में मंगल का गोचर देश की सेना और सुरक्षा के लिए कैसा रहेगा?मगंल का कर्क राशि में गोचर सेना को निरंतर अभ्यास और अपनी शक्ति को बढ़ाने की दिशा में इशारा कर रहा है. दुनिया के कई देशों में युद्ध के स्थितियां बनी हुई हैं. रुस-यूक्रेन और इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच जंग जारी है. लंबे समय से यहां पर तोपें गरज रही हैं. ऐसे में मंगल का कर्क राशि में गोचर महत्वपूर्ण हो जाता है.
दुनिया पर जब तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा हो ऐसे में भारत की स्थिति को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है. भारत की कुंडली के तीसर भाव बेहद विशेष है, क्योंकि यहां एक साथ 5 ग्रह गोचर कर रहे हैं, यहां बुध, चंद्रमा, सूर्य, शनि और शुक्र ग्रह की युति बनी हुई है. जो भारत के पराक्रम में वृद्धि करने वाला एक शुभ संयोग है. लेकिन इस दौरान चुनौतियों भी कम नहीं रहेंगी.
20 अक्टूबर से इस भाव में मंगल का गोचर भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाने वाला प्रतीत हो रहा है. लेकिन इस दौरान सीमा पर से कुछ साजिशों के भी संकेत मिल रहे हैं. बीते 2 अक्टूबर 2024 को साल का अंतिम सूर्य ग्रहण लगा था और इससे 15 दिन पूर्व यानि 17-18 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगा था. ज्योतिष ग्रंथों में 15 दिन के अंतराल में दो ग्रहण लगना कुछ मामलों में शुभ नहीं माना गया है.
मंगल का गोचर भारत ही नहीं विश्व के कई देशों को प्रभावित करेगा. जिन देशों में सीमा पर तनाव है वहां पर सैन्य कार्रवाइयों में इजाफा देखने को मिलेगा. इस समय पाप ग्रहों की स्थिति भी विशेष प्रभाव डालती दिख रही है. राहु-केतु खुफिया यानि छिप कर घटनाओं को अंजाम देने वाली शक्तियों को बढ़ावा दे रहे हैं. इसलिए शांति प्रिय देशों को आंतरिक और बाहरी स्तर पर अधिक सजग रहने की आवश्यकता है. बाहरी देशों से धमकियां मिल सकती है, आंतकी साजिशें बढ़ सकती हैं.
देश को कमजोर करने की कोशिश तेज हो सकती है. इन सब के बाद भी मंगल का गोचर भारत की सैन्य शक्ति को अधिक प्रभावशाली बना रहा है, किसी भी स्थिति से निपटने के लिए युद्ध अभ्यास के लिए ये समय उत्तम है. कूटनीति के लिए ये समय चुनौतिपूर्ण है. छोटी गलती भी भारी पड़ सकती है. भारत विश्व में अपनी मजबूत स्थिति को बनाए रखने में सफल रहेगा. लेकिन इसके लिए विभिन्न स्तर पर कठोर कदम उठाने होंगे.
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