अब 1 नवंबर शुक्रवार की स्थिति का विश्लेषण किया जाए तो इस वर्ष 1 नंवबर शुक्रवार के दिन सूर्योदय से शाम 6 बजकर 16 मिनट तक अमावस्या तिथि रहेगी, तत्पश्चात कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा प्रारंभ हो जायेगी।
1 नंवबर 2024 शुक्रवार को अमावस्या के दिन धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल शाम 5 बजकर 17 मिनट से 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश शाम 6 बजकर 38 मिनट से 8 बजकर 35 तक रहेगा।
रोग (अशुभ) चौघड़िया शाम 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 49 मिनट तक, तत्पश्चात काल (अशुभ) चौघड़िया की वेला शाम 6 बजकर 49 मिनट से 8 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।
यहां ध्यान देने योग्य विशेष तथ्य है कि 1 नवंबर को अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद कुल 50 मिनट रहेगी। उसके बाद शुक्ल पक्ष प्रतिपदा लगेगी, उसमें भी स्थिर लग्न वृष 6 बजकर 38 से लगेगी और 6 बजकर 16 मिनट पर अमावस्या समाप्त हो जायेगी। इस कारण पूजन में वृष लग्न का समय प्राप्त नहीं होगा, इसके साथ ही रोग और काल चौघड़िया का अशुभ समय विद्यमान रहेगा।
1 नंवबर को महानिशिथ काल एवं सिंह लग्न के समय अमावस्या तिथि का अभाव रहेगा। उस समय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि हो जाएगी।
दीपावली रात्रि का त्योहार है और इसका मुख्य पूजन रात्रि में अमावस्या के समय किया जाता है। अमावस्या की तिथि में प्रदोष काल का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल वह समय है जब सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक की अवधि होती है।
शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल और महानिशिथ काल में व्याप्त होती है, उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना चाहिए। 31 अक्टूबर को अमावस्या की शुरुआत दोपहर में हो रही है, जो पूरी रात तक रहेगी, वहीं, 1 नवंबर को सूर्यास्त के बाद अमावस्या समाप्त हो जाएगी। प्रदोष और अर्धरात्रि व्यापनी मुख्य है,इसलिए दीपावली 31 को मनाई जाएगी।
इसके साथ ही धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को,नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) 30 अक्टूबर, दीपावली का महापर्व 31 अक्टूबर,1 नंवबर को स्नान दान की अमावस्या,2 नवंबर को गोर्वधन पूजा और 3 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा।