अदालत का फैसला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, जेल में बंद कैदियों के बच्चों को जेल से बाहर नियमित स्कूलों में शिक्षा हासिल करने का मौलिक अधिकार है। ऐसे बच्चों की शिक्षा और सर्वांगीण विकास को जेल की दीवारों में कैद नहीं किया जा सकता। सरकार ऐसे बच्चों के लिए विशेष प्रावधान और नीति बनाकर 20 नवंबर तक अदालत में हलफनामे संग पेश करे।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की अदालत ने याची रेखा की ओर से दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची गाजियाबाद के मोदीनगर थाना क्षेत्र की 2023 की हत्या और अपरहण की वारदात में जेल में बंद है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि याची का पांच साल का बच्चा जेल में उसके साथ ही रहता है। जब कोर्ट ने शिक्षा के बारे में जानकारी प्राप्त की तो पता चला कि वह जेल परिसर में स्थित क्रेच स्कूल में पढ़ रहा है, जो केवल कैदियों के बच्चों के लिए ही बनाया गया है।
इससे पहले सुनवाई के क्रम में महानिदेशक (कारागार) और प्रमुख सचिव (महिला एवं बाल विकास) ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया था कि राज्य में अनेक ऐसे बच्चे हैं, जो अपने कैदी माता-पिता संग जेल में ही रहते हैं। उनकी देखभाल के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। सरकार ऐसे बच्चों को नियमित स्कूलों में दाखिला दिलाने व विभिन्न सीसीआई में अन्य सहायता प्रणालियां प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार कर रही है।
कोर्ट ने प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, प्रमुख सचिव (कारागार) और महानिदेशक (कारागार) उप्र को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में अंतिम नीति तैयार कर 20 नवंबर तक अदालत में हलफनामे संग पेश करें।