Guru Nanak Jayanti 2024: पंचांग (Panchang) के अनुसार हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima 2024) तिथि के दिन को गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है. वे सिख धर्म (Sikh) के पहले गुरु और संस्थापक थे. इस साल गुरु नानक जयंती 15 नवंबर 2024 को है.
गुरु नानक देव एक महान दार्शनिक, योगी और समाज सुधारक के रूप में जाने जाते हैं. बाल्यावस्था से ही उनकी रुचि आध्यात्म की ओर थी. कहा तो यह भी जाता है कि उन्हें लगभग सभी धर्मग्रंथों का ज्ञान था. सिख धर्म के पवित्र गुरुग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) के शुरुआती 940 शब्द गुरुनानक देव जी के ही हैं.
लोगों को प्रेम करना, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश देना ही गुरु नानक देव के जीवन का मूलमंत्र है. साथ ही उनके उपदेश ऐसे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं. आइये जानते हैं सिख के पहले गुरु गुरु नानक देव के जी अनमोल उपदेश-
एक ओंकार (Ek Onkar): गुरु नानक देव जी ने लोगों को एक ओंकार के महत्व के बारे में बताया और समझाया. इसका अर्थ होता है कि ईश्वर एक है और एक ही जगह मौजूद है. गुरु नानक जी के अनुसार- ईश्वर हर व्यक्ति, हर दिशा और हर स्थान पर है.
धन कमाने का तरीका (Way to earn money): पैसे कमाने की जरूरत और लालच हर पीढ़ी में रही है और आगे भी रहेगी. लेकिन गुरु नानक देव जी का मानना है कि धन कमाने का एक तरीका होना चाहिए. धन ऐसे में भी नहीं कमाना चाहिए, जिसमें सही-गलत का भान ही न रहे. गुरु नानक जी धन अर्जित करने के तरीके को लेकर कहते हैं कि- लोभ का त्याग करके, मेहनत करके और न्यायोचित तरीके से ही धन कमाना करना चाहिए.
विजय होने का तरीका: गुरु नानक देव जी कहते हैं कि दुनिया से विजयी होने या जीत हासिल करने से पहले अपने भीतर के विकारों और बुराईयों पर जीत हासिल करना सीखना जरूरी है.
सेवा से ही कर्म: गुरु नानक देव जी कहते हैं कि, जीवन में जब मौका मिले और आप समर्थ हों तो दूसरों की मदद और सेवा करने करें. सेवा करने का मौका मिले जो उसे कभी छोड़ना नहीं चाहिए. गरीब, जरूरतमंदों और असहायों की सेवा से कर्म तो बढ़ता ही है साथ ही इससे संतुष्टि और शांति की प्राप्ति होती है. इसलिए स्वार्थी बनकर सिर्फ अपने बारे में कभी न सोचें.
सबकी बात जरूरी: समता और बराबरी को लेकर गुरु नानक देव जी कहते थे कि- धर्म, जाति और लिंग के आधार भेदभाव अनुचित है. इसलिए खुद गुरु नानक देव जी सबकी और सभी धर्मों की बात करते थे. इसलिए कहा जाता है ‘नानक नाम चढ़दी कला तेरे भाने सरबत दा भला’. यानी आप नानक का नाम लेते हुए सबके भले की बात करें. इससे खुद का भला हो जाता है.
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