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सांकेतिक तस्वीर – फोटो : amarujala.com
विस्तार
जलवायु परिवर्तन पर अंतरराष्ट्रीय मंचों में चल रही बहस के बीच वर्ष 2024 के खत्म होते-होते कोयले की वैश्विक मांग नई ऊंचाइयों पर पहुंच सकती है। कोयले की खपत बढ़कर रिकॉर्ड 877 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान है। इस वर्ष कोयले से पैदा हो रही बिजली का उत्पादन भी रिकॉर्ड 10,700 टेरावाट प्रति घंटे तक पहुंच सकता है।
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कोयले की बढ़ती मांग के लिए मुख्य रूप से बिजली क्षेत्र जिम्मेदार है। यह जानकारी इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) ने अपनी नई रिपोर्ट कोल 2024: एनालिसिस एंड फॉरकास्ट फॉर 2024 में दी है। रिपोर्ट के अनुसार, कोयले की सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है। 2024 में एक फीसदी की वृद्धि के साथ चीन में कोयले की खपत 490 करोड़ टन पर पहुंच सकती है। दुनिया का एक तिहाई कोयला चीन के बिजली संयंत्रों में जलाया जाता है। भारत में भी कोयले की खपत में पांच फीसदी की वृद्धि हो सकती है। भारत में यह मांग बढ़कर 130 करोड़ टन पर पहुंच सकती है। यह आंकड़ा इससे पहले केवल चीन ही छू पाया है।
ये हैं वृद्धि के कारण
भारत, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कोयले की मांग अब भी लगातार बढ़ रही है। यहां तेज आर्थिक विकास के साथ बढ़ती आबादी भी बिजली की खपत में इजाफा कर रही है। इसकी वजह से कोयले की मांग बढ़ रही है। उद्योगों में भी कोयले की खपत बढ़ी है। इसी वजह से एशिया अंतरराष्ट्रीय कोयला व्यापार का केंद्र बना हुआ है। इसमें चीन, भारत, जापान, कोरिया और वियतनाम सबसे बड़े आयातक हैं।
एशिया में हो रही लगातार वृद्धि
कोयले की मांग में एशिया जैसे क्षेत्र विशेष में हो रही लगातार वृद्धि चिंताजनक है। 2021 में कोरोना के बाद वैश्विक स्तर पर कोयले की खपत में 7.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। जबकि 2022 में इसकी खपत में 4.7 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 2023 में घटकर 2.4 फीसदी रह गई। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह दुनिया में अक्षय ऊर्जा का बढ़ता उपयोग है जो आने वाले समय में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करेगा।
यूरोपियन यूनियन और अमेरिका में गिरावट
प्रारंभिक आकलन के अनुसार, इस वर्ष यूरोपियन यूनियन में कोयले की मांग में 12 फीसदी और अमेरिका में पांच फीसदी की कमी आने की उम्मीद है। इसके बावजूद यह 2023 के मुकाबले कम है। 2023 के दौरान यूरोपियन यूनियन में 23 और अमेरिका में 17 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई थी।