Holika Dahan 2025 Puja Samagri List: होली का त्योहार दो दिन का होता है. पहले दिन पूर्णिमा की रात को होली जलाई जाती है और अगले दिन दुल्हेंडी के दिन होली का रंग खेला जाता है. होलिका दहन से पहले उसकी पूजा की जाती है.
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और कहा जाता है कि इससे समृद्धि और खुशियां आती हैं और सभी नकारात्मकता और बीमारियां नष्ट हो जाती हैं. होलिका दहन की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री की जरुरत होती है यहां जान लें पूरी लिस्ट.
होलिका दहन पूजा सामग्री (Holika Dahan Puja Samagri)
होलिका दहन की पूजा सामग्री में कुछ वस्तुओं का होना बहुत जरूरी माना जाता है. इस होली की पूजा में घर की बनी गुजिया जरूर अर्पित करनी चाहिए. होलिका दहन की पूजा सामग्री में कच्चा सूती धागा, नारियल, गुलाल पाउडर, रोली, अक्षत, धूप, फूल, गाय के गोबर से बनी गुलरी, बताशे, नया अनाज, मूंग की साबुत दाल, नारियल, सप्तधान, जल से भरा कलश, हल्दी का टुकड़ा और एक कटोरी पानी लें. सभी वस्तुओं को एक थाली में सजाकर पूरे परिवार के साथ जाकर होलिका मइया की पूजा करें.
इस दिन घर में बने हुए 7 तरह के पकवानों और पूजन सामग्री से होलिका पूजा होती है. भोग भी लगाया जाता है साथ ही होलिका दहन देखना भी शुभकारी माना जाता है. मान्यता है इससे मन की नकारात्मकता का भी दहन होता है और मन की ऊर्जा बढ़ती है.
Holika Dahan 2025 के शुभ मुहूर्त:
शुभ मुहूर्त: होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11:26 बजे से 14 मार्च को रात 12:30 बजे तक रहेगा.
पूर्णिमा तिथि: पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे समाप्त होगी.
भद्रा काल: पंचांग के अनुसार भद्रा काल 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से रात 11:26 बजे तक रहेगा. भद्रा काल में होलिका दहन करना वर्जित है. इसलिए, होलिका दहन भद्रा काल के समाप्त होने के बाद ही किया जाता है.
महत्व: होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और समृद्धि लाने का प्रतीक है.
होलिका दहन पूजन: होलिका दहन के दौरान, लोग होलिका की पूजा करते हैं और अग्नि जलाकर बुराई पर अच्छाई का जश्न मनाते हैं. होलिका दहन के बाद राख को घर लाकर तिलक लगाने की भी परंपरा है.
होली से जड़ी मान्यता
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को कश्यप ऋषि के जरिए अनुसूया के गर्भ से चंद्रमा का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि पर चंद्रमा की विशेष पूजा और अर्घ्य देने का विधान बताया गया है. फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करने से रोग नाश होता है. इस त्योहार पर पानी में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए.
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