पीएम मोदी
नई दिल्ली: लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मीटिंग के बाद हालात सुधरे। हमें सीमा पर सामान्य हालात वापस लाने में मदद मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले तनावों के बावजूद चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। पीएम मोदी ने भारत-चीन संबंधों के “लंबे इतिहास” और आपसी समझ के महत्व का भी उल्लेख किया।
भारत और चीन ने हमेशा एक-दूसरे से सीखा है
पीएम मोदी ने कहा, “देखिए, भारत और चीन के बीच संबंध कोई नई बात नहीं है। दोनों देशों की संस्कृति और सभ्यता प्राचीन है। आधुनिक दुनिया में भी, वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आप ऐतिहासिक अभिलेखों को देखें, तो सदियों से भारत और चीन ने एक-दूसरे से सीखा है। साथ मिलकर, उन्होंने हमेशा किसी न किसी तरह से वैश्विक भलाई में योगदान दिया है।” पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास में एक समय ऐसा था जब भारत और चीन मिलकर दुनिया की आधी से ज़्यादा जीडीपी का हिस्सा थे। उन्होंने आगे कहा कि बौद्ध धर्म, जिसका चीन पर बड़ा प्रभाव था, भारत में ही पैदा हुआ और इसने दो प्राचीन सभ्यताओं के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में अहम भूमिका निभाई।
पीएम मोदी ने कहा, “अगर हम सदियों पीछे देखें, तो हमारे बीच संघर्ष का कोई वास्तविक इतिहास नहीं है। यह हमेशा एक-दूसरे से सीखने और एक-दूसरे को समझने के बारे में रहा है।” लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों को लेकर पीएम मोदी ने माना कि 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव था। पिछले साल नवंबर में, भारतीय और चीनी सैनिकों ने चार साल से ज़्यादा के अंतराल के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त शुरू की। मई-जून 2020 में पैंगोंग झील और गलवान क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच झड़प के बाद करीब साढ़े चार साल तक पूर्वी लद्दाख के इन दोनों इलाकों में गश्त बंद थी।
2020 में झड़प के बाद तनाव बढ़ा
पीएम मोदी ने कहा “यह सच है कि हमारे बीच सीमा विवाद है। और 2020 में सीमा पर हुई घटनाओं ने हमारे देशों के बीच काफी तनाव पैदा किया। हालांकि, राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हाल में बैठक के बाद, हमने सीमा पर सामान्य स्थिति बहाल की है।’ उन्होंने कहा “हम अब 2020 से पहले की स्थिति को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं। धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, विश्वास, उत्साह और ऊर्जा वापस आ जाएगी। लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा, क्योंकि पांच साल का अंतराल हो गया है। हमारा सहयोग न केवल फायदेमंद है, बल्कि वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए भी आवश्यक है। चूंकि 21वीं सदी एशिया की सदी है, इसलिए हम चाहते हैं कि भारत और चीन स्वस्थ और स्वाभाविक तरीके से प्रतिस्पर्धा करें। प्रतिस्पर्धा कोई बुरी चीज नहीं है, लेकिन इसे कभी भी संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए।
मतभेद विवादों में न बदलें
प्रधानमंत्री ने माना कि पड़ोसी देशों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं। उन्होंने कहा, “यहां तक कि एक परिवार के भीतर भी, सब कुछ हमेशा सही नहीं होता।” पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि ये मतभेद विवादों में न बदल जाएं। उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि ये मतभेद विवादों में न बदल जाएं। हम इसी दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। मतभेद के बजाय, हम संवाद पर जोर देते हैं, क्योंकि केवल संवाद के माध्यम से ही हम एक स्थिर, सहयोगात्मक संबंध बना सकते हैं जो दोनों देशों के बेहद जरूरी है।”