Last Updated:
: Sushmita Sen defends Fawad Khan: पाकिस्तानी स्टार फवाद खान की ‘अबीर गुलाल’ में बॉलीवुड में वापसी ने बहस छेड़ दी है, कुछ लोगों ने बहिष्कार का आह्वान किया है, खासकर महाराष्ट्र में. इस बीच, सुष्मिता सेन ने सीमा …और पढ़ें
नई दिल्लीः पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान अपनी अपकमिंग फिल्म ‘अबीर गुलाल’ से बॉलीवुड में वापसी करने के लिए तैयार हैं और इसी के बाद से वे लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. इस खबर ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री और राजनीतिक हलकों दोनों में बहस छेड़ दी है, खासकर हिंदी फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकारों की भागीदारी को लेकर. इस चर्चा के बीच अभिनेत्री सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि प्रतिभा और रचनात्मकता (talent and creativity) को राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए.
सुष्मिता सेन ने किया फवाद खान का बचाव
हाल ही में इंस्टेंट बॉलीवुड ने सुष्मिता सेन से फवाद खान जैसे पाकिस्तानी कलाकारों के भारतीय फिल्मों में आने के संबंध में सवाल किया था. उन्होंने जवाब दिया, ‘देखिए मुझे इतना सब नहीं पता. मुझे सिर्फ पता है कि हुनर और क्रिएटीविटी में कोई लिमिट नहीं होती. होनी भी नहीं चाहिए. क्योंकि यही एक चीज है… एक खेल है, और एक हमारी एक क्रिएटिव फील्ड है, जहां हमारी क्रिएटीविटी फ्रीडम से पैदा होती है. इसलिए मैं हर किसी के लिए यही चाहती हूं. उसके लिए कोई सरहद नहीं है.’ उनका मानना है कि कलात्मक अभिव्यक्ति (artistic expression) को राष्ट्रीय या क्षेत्रीय सीमाओं से परे जाना चाहिए, यह उनके शब्दों में झलकता है.
वाणी कपूर संग कमबैक कर रहे फवाद
गौरतलब है कि 9 मई, 2025 को, फवाद खान और वाणी कपूर स्टारर और आरती एस. बागड़ी द्वारा निर्देशित ‘अबीर गुलाल’ सिनेमाघरों में रिलीज होगी. लेकिन फिल्म को पहले ही आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, खास तौर पर महाराष्ट्र में, जहां उद्योग के कुछ अंदरूनी लोग और राजनीतिक हस्तियां बहिष्कार का आह्वान कर रही हैं. यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम करने का विषय अभी भी कितना नाज़ुक है.
इन फिल्मों में नजर आ चुके हैं फवाद
फवाद खान के हालिया प्रदर्शन बॉलीवुड में, फवाद खान को पहले ‘खूबसूरत’ (2014), ‘कपूर एंड संस’ (2016) और ‘ऐ दिल है मुश्किल’ (2016) में उनके अभिनय के लिए सराहा गया था. वो अपने अभिनय की बदौलत भारतीय दर्शकों से जुड़ने में सफल रहे, जिनकी प्रशंसा उनके करिश्मे और गहराई के लिए की गई. हालांकि, राजनीतिक तनाव के कारण ये सीमा-पार साझेदारियां आखिरकार समाप्त हो गईं.