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आज हम आपको महादानी एक्ट्रेस के बारे में बताते हैं जिन्होंने ताउम्र शादी नहीं की. फिल्मों से हुई कमाई और अपनी सारी संपत्तियों को दान कर दिया. निधन के बाद आज तक उनकी कुलदेवी की तरह पूजा होती है.
नई दिल्ली. एक्ट्रेस ने लगभग सभी टॉप हीरो के साथ काम किया. 1500 से अधिक फिल्मों में नजर आईं. 6000 से अधिक नाटकों में एक्टिंग की. बहुत कम उम्र में ही दादी के किरदारों में इम्प्रेस करने वाली एक्टेस आज भी अपने गांव में कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम है एसएन लक्ष्मी.

एसएन लक्ष्मी का जन्म साल 1927 में विरुधुनगर जिले के अरुप्पुकोट्टई के पास एक गांव में हुआ था. वह 13 बच्चों में सबसे छोटी थीं. उनके जन्म से पहले उनके पिता राजा कंबलथु नायक के महल में प्रशासनिक विभाग में काम करते थे. एसएन लक्ष्मी के जन्म के बाद उनके पिता नारायण देवर की नौकरी चली गई.

इससे परिवार को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा और पिता का भी निधन हो गया. मां 13 बच्चों का पेट नहीं भर पा रही थी. कई काम करके मां जैसे-तैसे बच्चों का पेट पाल रही थी. इसके बाद 6 साल की उम्र में लक्ष्मी नाटक मंडलियों में शामिल हो गईं और घर छोड़कर नाटक मंडली के साथ चली गईं.

कई नाटकों में एक्टिंग करके अपने हुनर का निखारा. साल 1948 में रिलीज हुई ‘चंद्रलेखा’ फिल्म में नृत्य मंडली की एक सदस्य के रूप में काम किया. डॉक्टर सावित्री, नल्ला थंगई, थामराई कुलम, अवना इवन जैसी कई फिल्मों में नजर आईं. लेकिन शादी नहीं की और हमेशा उनका फोकस एक्टिंग पर ही रहा.

‘बगदाद थीफ’ फिल्म में एमजीआर के साथ काम किया. शिवाजी गणेशन, जेमिनी गणेशन, एस.एस.राजेंद्रन, मुथुरामन जैसे बड़े स्टार्स के साथ काम किया. ‘सर्वर सुंदर’ फिल्म में नागेश की मां का किरदार निभाया. रजनीकांत की ‘एजामान’, कमल हासन के साथ ‘तेवर मगन’, ‘माइकल मदन कामराजन’, विजयकांत के साथ ‘वाणत्ताई पोल’, ‘महा नदि’, अजित की ‘माइनर मापिल्लई’, विजय की ‘फ्रेंड्स’, ‘विरुमांडी’ जैसी कई फिल्मों में काम किया.

‘महा नदि’ फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने वाला था, लेकिन एक वोट के अंतर से वह चूक गई. कई फिल्मों में अभिनय करने वाली एसएन लक्ष्मी का 2012 में 85 साल की आयु में निधन हो गया. उनके गांव चेननेल्कुडी में उनके अपने खेत में उनका अंतिम संस्कार किया गया. वहां उनकी स्मृति में एक स्मारक बनाया गया है. हर साल महाशिवरात्रि पर उनके परिवार के सदस्य उन्हें कुलदेवी की तरह पूजते हैं.

कमल हासन ने उन्हें लगातार फिल्मों में काम दिया, नहीं तो इस पीढ़ी के दर्शक उनके अभिनय को नहीं देख पाते. किसी भी किरदार को निभाने में माहिर एसएन लक्ष्मी तमिल सिनेमा की अंडररेटेड एक्ट्रेसेस में से एक रहीं. चेन्नई सालीग्रामम में अपने भाई के बच्चों और पोते-पोतियों के साथ रहती थीं. जब तक शरीर में ताकत थी, खुद ही कार चलाती थीं.

गरीबी में पली-बढ़ी एसएन लक्ष्मी सिनेमा में काम करके गरीबी के दलदल से बाहर निकली थीं. अपने परिवार की देखभाल के लिए एसएन लक्ष्मी ने मरते दम तक शादी नहीं की. सिनेमा में कमाई गई संपत्ति को उन्होंने अपने पालन-पोषण करने वालों को दान कर दिया. गांव में 10 एकड़ से अधिक का बाग और घर जैसी संपत्तियों को भी दान कर दिया. गांव के लोग बताते हैं कि उन्होंने 20 से अधिक अनाथालयों की मदद की. हालांकि, इस जानकारी की पुष्टि नहीं हो सकी.
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