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Bollywood Star Struggle: किस्सागोई के जुनून ने उन्हें सिनेमा की दुनिया में मशहूर बनाया, लेकिन उन्होंने जितनी फ्लॉप फिल्में दी हैं, अगर कोई और होता, तो शायद सिनेमा से दूर हो जाता. उन्होंने शुरुआत में ही बैक-टू-बैक फ्लॉप फिल्में दीं. लोगों ने उन्हें खत्म मान लिया था. फिर फिल्म स्टार ने अपनी ही जिंदगी की घटना पर मूवी बनाई, जिसकी कहानी ने दर्शकों के दिलों में सीधा हिट किया.
नई दिल्ली: फिल्म स्टार ने लड़खड़ाते-फिसलते हुए हिंदी सिनेमा में कुछ यादगार फिल्में बनाईं, जिसने उन्हें खास मुकाम दिलवाया. उन्होंने कई नए कलाकारों की किस्मत चमकाई. वे सलाह देते हैं कि अगर आप फेल होने से डरते हैं, तो सिनेमा छोड़ दीजिए. वे सिनेमा में आए तो गुजारे के लिए थे, लेकिन कुछ अच्छी फिल्मों और शख्सियत ने उन्हें सिनेमा का बड़ा नाम बना दिया. हम महेश भट्ट की बात कर रहे हैं, जिनके पिता नानाभाई भट्ट भी फिल्मकार थे. (फोटो साभार: Videograb)

महेश भट्ट ने राज खोसला के असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया था. साल 1974 में आई फिल्म ‘मंजिलें और भी हैं’ से निर्देशन की शुरुआत की, लेकिन कबीर बेदी स्टारर फिल्म फ्लॉप रही. उन्होंने ‘विश्वासघात’, ‘नया दौर’, ‘लहू के दो रंग’ जैसी फिल्में बनाईं, जो दर्शकों पर ज्यादा असर नहीं छोड़ पाईं. (फोटो साभार: IMDb)

महेश भट्ट ने बैक-टू-बैक फ्लॉप फिल्में दीं. लोगों ने उन्हें खत्म मान लिया, लेकिन फिर वे ‘अर्थ’ लेकर आए, जो उनके करियर के लिए संजीवनी बूटी साबित हुई. डायरेक्टर ने अपनी ही जिंदगी के अच्छे-बुरे अनुभवों को सिनेमा के जरिये बयां किया. उन्होंने यही ट्रेंड ‘जनम’, ‘जख्म’ में अपनाया. महेशा भट्ट ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मेरे लिए 20 का दशक तबाही था. मैंने तीन से चार फिल्में बनाईं, जो सभी फ्लॉप हुईं. मुझे मरा मान लिया गया था. फिर ‘अर्थ’ आई. मैंने अपनी ऑटोबायोग्राफी के जरिये आगे बढ़ा. (फोटो साभार: Instagram@maheshfilm)

महेश भट्ट अपनी जिंदगी और करियर पर बोले, ‘मैं सिर्फ लड़खड़ाता, फिसलता रहा हूं. कुछ फिल्में जो मैंने बनाईं, वे अच्छी कर गईं. कई फिल्में औसत दर्जे की थीं. मैं कहता हूं कि आप उतनी फिल्में नहीं बना सकते, जितनी मैंने बनाई जो फ्लॉप हो गईं.’ डायरेक्टर ने कहा कि उन्होंने कभी खुद को फिल्म निर्माता के रूप में नहीं देखा क्योंकि वे सिर्फ गुजारा करने के लिए इंडस्ट्री में शामिल हुए थे. (फोटो साभार: Instagram@maheshfilm)

महेश भट्ट की पहली शादी किरण भट्ट से हुई थी. वे शादीशुदा रहते हुए परवीन बाबी के साथ रिलेशनशिप में थे. पहली पत्नी से रिश्ता खत्म हुआ, तो उन्होंने सोनी राजदान को हमसफर बना लिया जो आलिया भट्ट की मां है. महेश भट्ट बोले, ’15 साल की उम्र में मेरी मां ने मुझसे कहा, ‘तुम्हारे पिता मुश्किल समय से गुजर रहे हैं, हमें पैसे की जरूरत है. तुम्हारी बहन ने एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू कर दिया है. तुम यहां बैठकर मेरे सामने खा रहे हो. मुझे तुम्हें खाते हुए देखना पसंद नहीं है.’ (फोटो साभार: Instagram@maheshfilm)

महेश भट्ट ने आगे कहा, ‘मुझे याद है कि मैंने खाना नीचे रखा, अपने हाथ पोंछे और अपने दोस्त असगर अली के पास जाकर चिल्लाया, ‘मुझे एक नौकरी दिलाओ’. मैंने किलिक निक्सन में एक टर्नर और फिट्टर के रूप में काम करना शुरू किया, जो पवई में था. एक हफ्ते बाद मेरी पहली कमाई 58 रुपये थी. मैंने इसे अपनी मां को दे दिया. मैंने घर चलाने के लिए काम किया.’ (फोटो साभार: Instagram@maheshfilm)

महेश भट्ट का बचपन सामान्य नहीं था. वे बोले, ‘मैंने खुद को सुकून देने के लिए कहानियों का इस्तेमाल किया. कहानी कहने की कला मेरे बचपन में ही पैदा हो गई थी. मैं लड़खड़ाया और गिरा. मैं उन्हें बार-बार कहता हूं, ‘मैंने असफलता के जरिये सफलता पाई’. (फोटो साभार: IMDb)

महेश भट्ट ने युवा कलाकारों को मैसेज देते हुए कहा, ‘अगर आप असफलता से डरते हैं, तो इस बिजनेस में मत आइए. यहां, असफलता बनी रहती है और सफलता एक संयोग मात्र है. अगर आपके पास इसे सहने का साहस है, पब्लिक के सामने इसे स्वीकारने का, क्रूर होने का तो यहां आइए. वरना, यहां से निकल जाइए.’ (फोटो साभार: IMDb)
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