अजिंक्य रहाणे अब भी भारतीय टेस्ट टीम में वापसी की आस लगाए बैठे हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ के खिलाफ रणजी ट्रॉफी मैच में अपने फर्स्ट-क्लास करियर का 42वां शतक ठोक टीम इंडिया की चयन समिति को कड़ा संदेश भेजा है. उनका कहना है कि उम्र टीम सेलेक्शन का मापदंड नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि वो बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में खेलने के लिए तैयार थे, लेकिन सेलेक्शन के लिए उनसे कोई संपर्क नहीं साधा गया.
मेरी टीम को जरूरत…
मुंबई बनाम छत्तीसगढ़ रणजी ट्रॉफी मैच में दूसरे दिन का खेल समाप्त होने के बाद अजिंक्य रहाणे ने कहा, “मेरा मानना है कि मेरे जैसे अनुभवी खिलाड़ियों को अधिक मौके दिए जाने चाहिए. मुझसे कोई संपर्क नहीं साधा गया. मैं केवल उन चीजों पर ध्यान दे सकता हूं जो मेरे नियंत्रण में हैं, फिलहाल मैं ऐसा ही कर रहा हूं. ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया को मेरी जरूरत थी, मैं वहां खेलने के लिए पूरी तरह तैयार था.”
सवाल है कि क्या रहाणे वाकई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने को तैयार थे? पिछले रणजी सीजन रहाणे मुंबई के टॉप-4 बल्लेबाजों में भी नहीं थे. उनका 9 मैचों में औसत 35.92 का रहा था. इन आंकड़ों के आधार पर रहाणे BGT सीरीज में चुने जाने का दावा कर रहे हैं. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भारत 1-3 से हार गया था.
उम्र के हिसाब से ना हो सेलेक्शन
विराट कोहली और रोहित शर्मा को लेकर भी अटकलें थीं कि बढ़ती उम्र के कारण उनपर संन्यास का दबाव बढ़ सकता है. रोहित ने सीरीज में 202 रन और विराट ने सिडनी में 74 रनों की पारी खेल उन सभी अटकलों को विराम दे दिया है.
इसी बीच अजिंक्य रहाणे ने कहा कि, “उम्र सेलेक्शन का मापदंड नहीं होना चाहिए, यह सब जुनून पर निर्भर करता है. आपके अंदर रेड बॉल क्रिकेट खेलने का कितना जुनून है. माइकल हसी ने 30 की उम्र के बाद डेब्यू किया था, फिर भी उन्होंने रन बनाए. रेड बॉल क्रिकेट में अनुभव मायने रखता है. व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया को मेरी जरूरत थी.”
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