अमेरिका में 1 अक्तूबर से चल रहा सरकारी शटडाउन आम जनता के लिए मुसीबत बन चुका है। इस बीच करोड़ों लोगों के लिए मुफ्त भोजन कार्यक्रमों पर संकट मंडरा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने एक नोटिस जारी किया है, जिसके तहत एक नवंबर से कोई संघीय खाद्य सहायता नहीं दी जाएगी।
वेबसाइट पर नोटिस जारी किया
अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने अपनी वेबसाइट पर एक नोटिस जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी बंद के कारण 1 नवंबर से संघीय खाद्य सहायता भत्ते जारी नहीं किए जाएंगे। यह नोटिस देशभर के लाखों परिवारों के लिए गंभीर संकट पैदा कर रहा है, क्योंकि सरकारी बंद अब रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है।
फूड स्टैंप्स पर मंडराया खतरा
यह नया नोटिस ट्रंप प्रशासन द्वारा यह कहने के बाद आया है कि वह पूरक पोषण सहायता कार्यक्रम (एसएनएपी), जिसे आमतौर पर फूड स्टैंप्स के नाम से जाना जाता है। उसमें नवंबर तक लाभ जारी रखने के लिए लगभग 5 अरब अमेरिकी डॉलर की आकस्मिक निधि का उपयोग नहीं करेगा। फूड स्टैंप्स अमेरिका के लगभग आठवें में से एक नागरिक को किराने का सामान खरीदने में मदद करता है।
यूएसडीए ने नोटिस में क्या बताया?
यूएसडीए के नोटिस में कहा गया है, “सच्चाई यह है कि धनराशि समाप्त हो चुकी है। वर्तमान में 1 नवंबर को कोई भत्ता जारी नहीं किया जाएगा। हम सीनेट डेमोक्रेट्स के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुके हैं।” 1 अक्तूबर से शुरू हुआ यह बंद अब रिकॉर्ड में दूसरा सबसे लंबा बंद है।
हालांकि रिपब्लिकन प्रशासन ने इस महीने SNAP लाभों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए शटडाउन से पहले कदम उठाए थे, लेकिन अगर कुछ ही दिनों में कोई राजनीतिक समाधान नहीं निकलता है, तो इस कटौती से गतिरोध का असर अमेरिकियों के एक बड़े हिस्से पर पड़ेगा और उनमें से कुछ सबसे ज्यादा जरूरतमंद लोगों पर भी।
आकस्मिक निधि के उपयोग का अनुरोध
इससे पहले डेमोक्रेटिक सांसदों ने कृषि सचिव ब्रुक रोलिंस को पत्र लिखकर अगले महीने के लाभों के बड़े हिस्से को कवर करने के लिए आकस्मिक निधि का उपयोग करने का अनुरोध किया है। लेकिन शुक्रवार को सामने आए यूएसडीए के एक ज्ञापन में कहा गया है कि नियमित लाभों को कवर करने के लिए आकस्मिक निधि कानूनी रूप से उपलब्ध नहीं है। दस्तावेज में कहा गया कि यह धन आपदाग्रस्त क्षेत्रों में लोगों की मदद करने जैसे कार्यों के लिए आरक्षित है। ऐसे मं परिवारों को खाद्य सहायता न मिलने की संभावना ने दोनों दलों द्वारा शासित राज्यों को गहरी चिंता में डाल दिया है।












