नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में पहली बार किसी महिला नक्सली ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। नक्सली गतिविधियों से चार दशक से अधिक समय से जूझ रहे इस जिले के लिए यह एक अहम घटना मानी जा रही है। महिला नक्सली सुनीता पिता विसरू (23), निवासी विरमन, इंद्रावती क्षेत्र जिला बीजापुर (छत्तीसगढ़) ने 1 नवंबर को हॉकफोर्स के चौरिया कैंप में आत्मसमर्पण किया। उसने हॉकफोर्स के सहायक सेनानी रूपेंद्र धुर्वे के समक्ष अपने हथियार सौंपे।
सुनीता माओवादी संगठन के एमएमसी जोन प्रभारी और सेंट्रल कमेटी सदस्य (सीसीएम) रामदेर की हथियारबंद गार्ड के रूप में कार्यरत थी। आत्मसमर्पण के दौरान उसने इंसास राइफल, तीन मैगजीन, पिट्ठू बैग और वर्दी पुलिस को सौंपी।
छह माह का लिया था प्रशिक्षण
पुलिस के अनुसार, सुनीता वर्ष 2022 में नक्सली संगठन से जुड़ी थी। उसने माड़ क्षेत्र में छह महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इसके बाद उसे रामदेर की सुरक्षा में तैनात किया गया था और वह इंद्रावती व माड़ क्षेत्रों में सक्रिय थी। 31 अक्टूबर की सुबह करीब 4 बजे उसने दलम से अलग होने का निर्णय लिया और जंगल में अपने हथियारों व सामग्री को डंप करने के बाद आत्मसमर्पण के उद्देश्य से हॉकफोर्स कैंप चौरिया पहुंच गई।
ये भी पढ़ें- ममता को किया शर्मसार: जिसे कुछ दिन पहले जन्मा, उसी का गला दबाकर ले ली जान; हत्या की वजह भी हैरान करने वाली
संगठन में बदलाव के संकेत
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रामदेर की टीम के कई अन्य सदस्य भी आत्मसमर्पण की तैयारी में हैं। रामदेर ने पूछताछ के दौरान बताया कि सोनू दादा, रूपेश दादा और उनके कुछ साथियों ने पहले ही छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में आत्मसमर्पण कर दिया है। इसके बाद अब बाकी सदस्य भी आत्मसमर्पण पर विचार कर रहे हैं।
दलम छोड़ने वालों में योगेश और मल्लेश के नाम सामने आए हैं। वहीं, चिलौरा निवासी देवेंद्र की हत्या में शामिल रहे रामदेर, रोहित, विमला, तुलसी, चंदू दादा, प्रेम, अश्विरे और सागर की भूमिका की भी जांच की जा रही है। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने महिला नक्सली के आत्मसमर्पण की पुष्टि करते हुए बताया कि सुनीता से पूछताछ की जा रही है और आत्मसमर्पण की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस संबंध में विस्तृत जानकारी मीडिया से साझा की जाएगी।












