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Rajesh khanna Hit Movies : कुछ फिल्में दर्शकों के दिल में हमेशा के लिए बस जाती हैं. बार-बार देखने पर भी दर्शकों का दिल नहीं भरता. हर बार देखने पर फिल्म नई जैसी लगती है. 56 साल पहले की बात है. बॉलीवुड डायरेक्टर ने एक ही रात में दो फिल्मों की स्टोरी फाइनल की. एक फिल्म ने हिंदी सिनेमा को हमेशा के लिए बदलकर रख दिया. दूसरी फिल्म कल्ट हिट साबित हुई. हिंदी सिनेमा को सही मायने में अपना पहला सुपरस्टार मिला. आइये जानते हैं इन दोनों फिल्मों से जुड़े दिलचस्प तथ्य…
हिंदी सिनेमा के इतिहास की दो महान फिल्मों की कहानी डायरेक्ट ने एक ही रात में फाइनल हुई थी. दोनों फिल्मों को बनाने का फैसला भी उसी रात लिया गया था. दोनों फिल्में दो साल के अंतराल में बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुईं. पहली फिल्म ने तो इतिहास ही रच दिया. इसी फिल्म ने बॉलीवुड को पहला सुपरस्टार दिया. दूसरी फिल्म ने स्टारडम को बुलंदियों पर पहुंचाया. दोनों फिल्मों का म्यूजिक पिता-पुत्र ने दिया. ये फिल्में थीं : आराधना और कटी पतंग, जिन्हें शक्ति सामंत ने डायरेक्ट-प्रोड्यूस किया था.

सबसे पहले बात करते हैं कि ‘आराधना’ फिल्म की. आराधना फिल्म की कहानी सचिन भौमिक ने लिखी थी. यह कहानी 1946 में आई अमेरिकन फिल्म टू ईच हिज ओन (To Each His Own) से इंस्पायर्ड थी. सचिन ने यह कहानी सबसे पहले ऋषिकेश मुखर्जी को सुनाई थी. ऋषिकेश किसी कारणवश यह फिल्म नहीं बना पाए. सचिन ने फिर यह कहानी शक्ति सामंत को सुनाई. पहले इस फिल्म का टाइटल ‘सुबह प्यार की’ था. एसडी बर्मन के कहने पर फिल्म का टाइटल बदला गया. आराधना फिल्म का ‘टाइटल’ फिल्मों के पोस्टर डिजाइन करने वाले सी.मोहन से उधार लिया गया था.

उन्हीं दिनों राजेश खन्ना की फिल्म ‘बहारों के सपने’ आई थी. इस फिल्म में राजेश खन्ना के काम को देखकर शक्ति सामंत ने उन्हें साइन कर लिया था. शक्ति सामंत के साथ कहानी-स्क्रीनप्ले लिखने वाले सचिन भौमिक बंगाली थे और शर्मिला टैगोर की मां से परिचित थे इसलिए आराधना में शर्मिला टैगोर को लिया गया. जब शक्ति सामंत फिल्म की शूटिंग शुरू करने वाले थे, तभी अनिल कपूर के पिता सुरेंद्र कपूर ने उन्हें एक फिल्म ‘एक श्रीमान एक श्रीमती’ दिखाई. इस फिल्म की कहानी भी सचिन भौमिक ने लिखी थी. फिल्म देखकर शक्ति सामंत हैरान रह गए क्योंकि ‘आराधना’ फिल्म का क्लाइमैक्स भी वैसा ही कुछ था. ऐसे में शक्ति सामंत ने ‘आराधना’ फिल्म को बनाने का आइडिया ड्रॉप कर दिया.

उन्हीं दिनों गुलशन नंदा शक्ति सामंत से मिले. उन्होंने कटी पतंग फिल्म की कहानी सुनाई. कहानी शक्ति सामंत को पसंद आई. शक्ति सामंत परेशान थे तो गुलशन नंदा ने उनसे ‘आराधना’ फिल्म के बारे में पूछा. कहानी सुनने के बाद उन्होंने हीरो का डबल रोल करने का सुझाव दिया. शक्ति सामंत को सुझाव पसंद आया. फिल्म का क्लाइमैक्स फिर से कई बदलाव के साथ लिखा गया. ऐसे में एक ही रात में दो फिल्मों ‘आराधना’ और ‘कटी पतंग’ का जन्म हुआ. आराधना 7 नवंबर 1969 को रिलीज हुई थी जबकि 29 जनवरी 1971 को सिनेमाघरों में आई थी. आराधना ने रिलीज होते ही इतिहास रच दिया. कटी पतंग को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया. यह हिट फिल्म साबित हुई.

किशोर आराधना फिल्म से पहले सिर्फ देवानंद और अपनी फिल्मों के लिए गाते थे. यह पहला मौका था जब उन्होंने राजेश खन्ना को अपनी आवाज दी थी. राजेश खन्ना ने किशोर कुमार को मनाने के लिए उनसे मुलाकात भी की थी. राजेश खन्ना ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘जब मैंने आराधना का पहला गाना ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ सुना तो ऐसा लगा कि जैसे किशोर कुमार मेरे सामने खड़े हैं और मैं यानी राजेश खन्ना गा रहा हूं. ऐसा लगा जैसे हम दो जिस्म एक जान हो गए. मैंने इस फिल्म के गानों के लिए किशोर से मुलाकात की थी. उन्होंने मुझसे पूछा था कि मैं एक्टर क्यों बना? इस पर मैंने कहा था कि मैं एक्टिंग के जरिये करोड़ों लोगों की सेवा मनोरंजन के जरिये करना चाहता हूं. मेरे जवाब से वो खुश हो गए और पानी के लिए पूछा.’

आराधना फिल्म में काम करने वाली एक्ट्रेस फरीदा जलाल ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘काका से शुरू में तो मेरी नहीं बनती थी. राजेश खन्ना आराधना के बाद राजेश खन्ना यानी सुपरस्टार बने. आराधना डायमंड जुबली साबित हुई थी. डिस्ट्रीब्यूटर्स हमें फंक्शन में बुलाया करते थे. मैं राजेश खन्ना के साथ जाया करती थी. लड़कियां तो उनके लिए पागल हो गई थीं. कोई बोलती थी मेरे गालों पर साइन करो तो कोई बोलती थी कि मेरे गले पर साइन करो. किसी को इतना स्टारडम कभी नहीं मिला. काका को इस फिल्म के बाद घमंड आ गया था.’

आराधना फिल्म में काम करने वाली एक्ट्रेस फरीदा जलाल ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘काका से शुरू में तो मेरी नहीं बनती थी. राजेश खन्ना आराधना के बाद राजेश खन्ना यानी सुपरस्टार बने. आराधना डायमंड जुबली साबित हुई थी. डिस्ट्रीब्यूटर्स हमें फंक्शन में बुलाया करते थे. मैं राजेश खन्ना के साथ जाया करती थी. लड़कियां तो उनके लिए पागल हो गई थीं. कोई बोलती थी मेरे गालों पर साइन करो तो कोई बोलती थी कि मेरे गले पर साइन करो. किसी को इतना स्टारडम कभी नहीं मिला. काका को इस फिल्म के बाद घमंड आ गया था.’

शर्मिला टैगोर ने ट्विकंल खन्ना से अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘आराधना के समय राजेश खन्ना इंडस्ट्री में नए थे. शक्ति सामंत यह फिल्म शम्मी कपूर के साथ मिलकर बनाना चाहते थे लेकिन उनके पास डेट नहीं थे. इसलिए उन्होंने ‘काका ‘ के साथ फिल्म बनाई. सचिन भौमिक से मैंने कहा था कि यह फिल्म तुम्हें मुझे देनी होगी. आराधना ने फिर इतिहास रच दिया.’

शक्ति सामंत अशोक कुमार के बहुत बड़े फैन थे. मैं बॉम्बे टॉकीज में काम करता था. आराधना में अशोक कुमार को एक छोटा सा पायलट अफसर का रोल शक्ति सामंत ने दिया था. उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘अशोक कुमार ने आराधना के क्लाइमैक्स को पावरफुल बना दिया था. उन्होंने राजेश खन्ना से कहा था कि पायलट का रोल कर रहे हो और बाल क्यों नहीं कटवाए. राजेश खन्ना ने गोलमाल जवाब दिया तो अशोक कुमार ने कहा था कि राजेश अपने बाल नहीं कटवाएगा, शॉट ले लो. हर किसी को क्लाइमैक्स याद रह गया.’

बात ‘कटी पतंग’ की करें तो इस फिल्म मे राजेश खन्ना के स्टारडम को एक अलग ऊंचाई प्रदान की. इस फिल्म में हमें राजेश खन्ना, आशा पारेख, प्रेम चोपड़ा, बिंदु, नासिर हुसैन नजर आए थे. फिल्म की कहानी गुलशन नंदा और वृजेंद्र गौर ने लिखी थी जो कि 1948 में आए कॉर्निल वूलरिच के उपन्यास ‘आई मैरिड ए डेड मैन’ से प्रेरित थी. फिल्म का म्यूजिक आरडी बर्मन ने दिया था जो कि ब्लॉकबस्टर रहा था. इस फिल्म के गानों को आज भी लोग गुनगुनाते हैं. ये सुपरहिट गाने थे : ‘प्यार दीवाना होता है, मस्ताना होता है’, ‘ये शाम मस्तानी, मदहोश किए जा’, ‘ये जो मुहब्बत है, उनका है काम’ ‘ना कोई उमंग है, ना कोई तरंग है’. फिल्म के गाने आनंद बख्शी ने लिखे थे. फिल्म का डायरेक्ट और प्रोड्यूस शक्ति सामंत ने ही किया था.
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