स्थानीय नेता बदन सिंह, मोहम्मद असरार और करन सिंह बदायूं के सांसद रहे
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बदायूं में विकास की उम्मीद में बाहर से आए नेताओं को स्थानीय मतदाताओं ने सिर आंखों पर बैठाया और जिताया लेकिन यह बात दीगर है कि बुनियादी सुविधाओं के लिए भी बदायूं की जनता इंतजार कर रही है। चिकित्सा सेवाओं की बात हो या फिर सड़कों का हाल हो। उम्मीदें पूरीं नहीं हुईं।
लोकसभा के लिए अब तक 17 बार चुनाव हुए। स्थानीय नेताओं से ज्यादा जनता ने बाहरी नेताओं पर भरोसा किया। सबसे ज्यादा भरोसा सलीम इकबाल शेरवानी पर रहा। दूसरा स्थान धर्मेंद्र यादव का है। साल 1952 से 1980 तक 28 साल में सात बार चुनाव हुए और प्रत्येक बार स्थानीय नेता ही सांसद चुने गए लेकिन 1984 में पहली बार सलीम इकबाल शेरवानी को जब कांग्रेस ने उतारा तो सीट स्थानीय नेताओं के हाथ से खिसक गई। जनता ने विकास की उम्मीद करते हुए उन पर विश्वास व्यक्त कर दिया।
सलीम इकबाल शेरवानी पहली बदायूं से सांसद बन गए। फिर 1984 से 2019 तक 35 साल में दस बार लोकसभा के लिए चुनाव हुए और प्रत्येक बाहर बाहरी नेता के सिर पर ही जीत का ताज सजा। प्रयागराज के सलीम इकबाल शेरवानी पांच बार, सैफई के धर्मेंद्र यादव दो बार, मध्य प्रदेश के शरद यादव, शाहजहांपुर के स्वामी चिन्मयानंद और लखनऊ की संघमित्रा मौर्य एक-एक बार सांसद रहीं।