एमएमएमयूटी
मदनमोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) के प्रवेश निरस्तीकरण मामले पर विचार करने की अपील को स्वीकार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। अपील को अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की उसी सिंगल बेंच को मामले पर मेरिट के आधार पर विचार करने का निर्देश दिया, जिसने विश्वविद्यालय के प्रवेश निरस्तीकरण के निर्णय को निरस्त कर दिया था।
साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया था कि वह छात्रों को अपने शैक्षणिक संस्थान का फिर से हिस्सा बनाए। हाईकोर्ट में लंबित मामले पर सुनवाई से इंकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों से अपील को वापस नहीं लेने की स्थिति में खारिज करने की बात कही। इसके बाद छात्रों ने तत्काल प्रभाव से उसे वापस लेने का निर्णय ले लिया।
दरअसल, हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ विश्वविद्यालय ने डबल बेंच में अपील की थी। डबल बेंच ने मामले को सिंगल बेंच को लौटाते हुए वही कहा था, जो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच को यह भी निर्देश दिया है कि वह इस मामले में डबल बेंच के प्रभाव में आए बिना गंभीरता के साथ सुनवाई करे और निर्णय ले।
एमएमयूटी प्रशासन ने चार महीने की गोपनीय जांच के बाद 10 जनवरी 2023 को कूटरचित दस्तावेज के सहारे बीटेक पाठ्यक्रम में नामांकन कराने वाले 40 विद्यार्थियों का प्रवेश निरस्त कर दिया था। इनमें सत्र 2020-21 के 22 और सत्र 2021-22 के 18 शामिल थे। इनमें 35 छात्रों ने विश्वविद्यालय के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से छात्रों के पक्ष में फैसला आया तो विश्वविद्यालय ने डबल बेंच में अपील की।
डबल बेंच ने मामले को सिंगल बेंच में विचार के लिए यह कहकर लौटा दिया कि निर्णय लेते समय विश्वविद्यालय के पक्ष की अनदेखी की गई है। उसके बाद छात्रों ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। कुलपति प्रो. जेपी सैनी ने बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट से फिर हाईकोर्ट में आ गया है।