सांकेतिक तस्वीर
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इटावा जिले में टिकट वितरण को लेकर जहां प्रदेश की कई सीटों पर सपा में खींचतान चल रही है। वहीं अब इटावा से भी एक बड़े नेता के बीजेपी के शामिल होने की चर्चाएं जोरों पर हैं। चर्चा है कि पहले वह भी इटावा लोकसभा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। टिकट न मिलने से नाराज होने की वजह सपा का साथ छोड़ रहे हैं।
सपा मुखिया अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में सपा-कांग्रेस गठबंधन, भाजपा और बसपा तीनों अपने प्रत्याशी घोषित करके चुनाव मजबूती से लड़ने का ऐलान कर दिया है। भाजपा ने निवर्तमान सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया पर भरोसा जाता है तो बसपा ने हाथरस की पूर्व सांसद सारिका सिंह पर दांव लगाकर खुद को स्थापित करने का प्रयास किया है। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन में इटावा सीट सपा के खाते में गई है। सपा ने यहां से 15 साल तक बसपा में रहने वाले और लगभग चार साल पहले पार्टी ज्वाइन करने वाले जितेंद्र दोहरे को प्रत्याशी बनाया है। इससे कुछ पुराने नेताओं में नाराजगी की बात सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही सपा के एक बड़े नेता भाजपा का दामन थाम सकते हैं। इसको लेकर भाजपा में बात पूरी हो गई है। पांच अप्रैल को भाजपा के एक बड़े नेता की संभावित सभा में वह सदस्यता ले सकते हैं। हालांकि अभी इसे लेकर उक्त नेता ने पुष्टि नहीं की है।
ग्रुप में शेयर हो रहे संदेश
मंगलवार को सपा के एक बड़े नेता के सपा छोड़ने को लेकर संदेश लोकल ग्रुप में तैरने लगे थे। सपा समर्थक जहां उन नेता के जाने को गलत निर्णय बता रहे थे। वहीं भाजपा के लोग सपा का एक बड़ा विकेट गिराने की बात लिखते रहे।
जिलाध्यक्ष की बात
1- सपा जिलाध्यक्ष प्रदीप शाक्य ने कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। वह अपने प्रत्याशी के लिए क्षेत्र में वोट मांग जनसंपर्क कर रहे है।
2- भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव राजपूत का कहना है कि चुनाव के चलते मुझे कोई जानकारी नही है। मैं चुनाव में व्यस्त हूं, अगर किसी को कहीं आना जाना होगा तो उसे कौन रोक सकता है।