नई दिल्ली. सपने वही हैं जो खुली आंखों से देखे जाते हैं और अगर मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा और उन सपनों की खातिर सबकुछ कुर्बान करने की हिम्मत हो, तो कोई भी सपना नामुमकिन नहीं है. बॉलीवुड में एक ऐसे ही एक्टर हैं जिन्होंने अपने सपनों की खातिर सबकुछ दांव पर लगा दिया था और कई बार निराशा हाथ लगने के बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपनों को सच करने में जुटे रहे. वह एक्टर और कोई नहीं बल्कि ‘फैमिलीमैन’ मनोज बाजपेयी हैं.
मनोज बाजपेयी का फिल्मी सफर जग जाहिर है. एक्टर के संघर्षों के बारे में पूरी दुनिया जानती है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वह अपने अभिनय के सफर की शुरुआत प्रतिष्ठित एक्टिंग स्कूल ‘नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा’ से करना चाहते थे, लेकिन वहां से उन्हें तीन बार रिजेक्शन मिला था. नसीरुद्दीन शाह और ओम पूरी जैसे दिग्गज एक्टर्स से प्रेरित होकर मनोज बाजपेयी भी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पढ़ना चाहते थे और इस वजह से उन्होंने तीन पार अप्लाई किया था, लेकिन तीनों बार ही उनके हाथ निराशा आई.
तीन बार एनएसडी से रिजेक्ट होने के बाद रघुबीर यादव की सलाह पर मनोज बाजपेयी ने बैरी जॉन की वर्कशॉप अटेंड की थी और उसके बाद एक फिर एनएसडी के लिए अप्लाई किया था. हालांकि, चौथी बार में उन्हें स्टूडेंट की जगह एक टीचर के तौर पर स्वीकार किया गया था. मनोज बाजपेयी ने 1994 में फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से बॉलीवुड डेब्यू किया था.
ओटीटी पर जमाई धाक
कई फिल्मों में काम करने के बाद मनोज बाजपेयी ने ओटीटी पर जमकर धाक जमाई. वह ओटीटी पर ‘गुलमोहर’, ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’, ‘भोंसले’, ‘फैमिलीमैन’ , ‘तांडव’, ‘किलर सूप’ , ‘जोरम’ जैसी फिल्मों और वेब सीरीज का हिस्सा रह चुके हैं. हाल ही में एक्टर ने ‘साइलेंस 2: द नाइट आउल बार शूटआउट’ के प्रमोशन के दौरान अपने एक्टिंग करियर के बारे में खुलकर बात की.
निर्देशक के गुलाम हैं मनोज बाजपेयी
हर किरदार को कुशलता से निभाने के बारे में वह कहते हैं, ‘मैं अपने निर्देशक का सच्चा गुलाम बनने की कोशिश करता हूं. एक बार फिर सभी के साथ सहयोग करना बहुत अच्छा रहा. मैं इसके अलावा कुछ भी अतिरिक्त नहीं करता, सिर्फ काम और काम की मांग पर ध्यान देता हूं और निर्देशक के निर्देशों को सुनता हूं’.
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FIRST PUBLISHED : April 3, 2024, 20:26 IST