खबरों के खिलाड़ी।
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चुनाव का मौसम है। नेताओं का दलबदल जारी है। बीते हफ्ते भी कई नेताओं का हृदय परिवर्तन हुआ। इनमें कांग्रेस पार्टी के नेताओं की संख्या ज्यादा रही। बॉक्सर विजेंदर सिंह से लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ तक ने पार्टी छोड़ दी। पार्टी छोड़ने के साथ इन नेताओं ने पार्टी संगठन पर कई तरह से आरोप लगाए। इस हफ्ते के ‘खबरों के खिलाड़ी में इसी मुद्दे पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री, समीर चौगांवकर, अवधेश कुमार, अनुराग वर्मा और राकेश शुक्ला मौजूद रहे।
विनोद अग्निहोत्री: राम और सनातन के विरोध में अगर पार्टी छोड़नी होती तो ये नेता पहले ही पार्टी छोड़ देते। यह सिर्फ बहानेबाजी है। कारण कुछ और होते हैं। ये कारण छिपे होते हैं। जो सामने नहीं आते। भाजपा के जो नेता बीते हफ्ते पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए, उन्हें भाजपा में बुराई नजर आने लगी। इसी तरह जो नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं, उन्हें कांग्रेस में बुराई नजर आने लगी है। असल कारण कुछ और होते हैं। ये जरूर है कि कांग्रेस के नेताओं की संख्या ज्यादा है। जो पार्टी छोड़ रहे हैं। वैचारिक प्रतिबद्धता जिनकी नहीं रही, एक वो पार्टी छोड़कर जाते हैं। दूसरे वो जिन्हें लगता है कि अब पार्टी में कुछ नहीं मिल सकता है तो वो पार्टी छोड़ देते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी आलाकमान अनदेखी करता है। जो राम और सनातन को कारण बता रहे हैं, उन्हें असल कारण बताना चाहिए।
अवधेश कुमार: जब कोई नेता पार्टी छोड़ता है, उस वक्त उनके द्वारा दिए गए वक्तव्य को ही सही नहीं मान लेना चाहिए। जो लोग पार्टी छोड़ रहे हैं, उनके बारे में मैं बहुत कुछ नहीं बोलूंगा, लेकिन उन्होंने जो कारण बताए हैं, क्या वो इस समय कांग्रेस के अंदर असंतोष का सबसे बड़ा कारण नहीं है? अर्जुन मोढवाडिया से शुरू हुआ सिलसिला आज तक चल रहा है। सबसे बड़ा विद्रोह मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कर दिया था। जो वहां (राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में) गए। संजय निरुपम ने पार्टी छोड़ते समय एक महत्वपूर्ण बात कही है। कांग्रेस इसको भले स्वीकार नहीं करे।