Lok Sabha Election 2024
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देश की राजनीति में परिवारवाद बड़ा मुद्दा है। पंजाब भी इससे अछूता नहीं है। यहां सरकारें तो बदल जाती हैं, लेकिन सत्ता एक घराने से प्रस्थान कर दूसरे खानदान में चली जाती है। पंजाब की राजनीति चंद घरानों में सिमटी हुई है। इनका लंबा इतिहास है। चुनाव में परिवारवाद मुद्दा तो बनता है, लेकिन सभी पार्टियां किसी न किसी रूप में परिवारवाद को बढ़ावा देती हैं।
यही कारण है कि सूबे की सियासत में परिवारों की विरासत बढ़ती जा रही है। पंजाब में लोकसभा चुनावों को लेकर गहमागहमी शुरू हो चुकी है और साथ ही में राजनीति में दबदबा रखने वाले परिवार अपने हिसाब से पंजाब की राजनीति का जोड़-तोड़ व टिकटों का आवंटन कर रहे हैं।
पटियाला से कैप्टन का शाही परिवार, लंबी का बादल परिवार, सराय नागा के बराड़, मजीठिया, पूर्व सीएम बेअंत सिंह का परिवार, माझा से कैरों और मजीठिया का परिवार, मान व दलितों में चौधरी परिवार, जाखड़ आदि राज्य के ये वो राजनीतिक परिवार हैं, जिनके आसपास वर्षों से पंजाब की राजनीति घूम रही है।