एक्सरे में दिखता दिल के आर-पार सरिया, सर्जरी के बाद मरीज मुन्नेलाल।
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दिल पर लगने वाली जरा सी चोट घातक साबित हो सकती है। वहीं, केजीएमयू के डॉक्टरों ने दिल के आर-पार सरिया घुसने के बावजूद मरीज को नया जीवन दिया है। दावा है कि इस तरह के मामले में घायल के जीवित बचने का यह देश का पहला मामला है।
डॉ. वैभव जायसवाल ने बताया कि सुल्तानपुर के दुर्गापुर निवासी रिक्शा चालक मुन्नेलाल 27 मार्च को घर में सफाई करते समय बाथरूम की छत से गिरा और नीचे पड़ी सरिया उसके सीने में धंस गई। मरीज को ई रिक्शा से 22 किमी दूर जिला अस्पताल लाया गया। यहां दर्द निवारक इंजेक्शन और प्राथमिक उपचार कर डॉक्टरों ने ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। वहां से एंबुलेंस में मुन्नेलाल को तिरछा लिटाकर दोपहर डेढ़ बजे ट्रॉमा लाया गया। घायल के सीने में सरिया धंसी हुई थी। एक्सरे में पता चला कि सरिया मरीज के दिल को छेदते हुए पार हो गई थी, जिससे फेफड़े पर भी चोट आई थी।
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हार्ट लंग मशीन पर रखा गया मरीज
प्रो. समीर मिश्रा ने बताया कि मरीज की हालत को देखते हुए उसे रोड के दूसरी तरफ स्थित भवन में हार्ट लंग मशीन पर रखा गया। इसके माध्यम से दिल, फेफड़ा चलता रहा। एनेस्थीसिया की टीम ने मरीज को इस स्थिति में रखा कि सांसें चलती रहें। मरीज का दिल धड़कता रहा और उसी के साथ सर्जरी कर सरिया निकाली गई। इसके बाद मरीज के दिल, फेफड़े के क्षतिग्रस्त हिस्से को दुरुस्त किया गया। सर्जरी में करीब चार घंटे का समय लगा। मरीज का काफी खून बह चुका था, इसलिए उसे छह यूनिट खून भी चढ़ाना पड़ा।
तीन दिन रहा वेंटिलेटर पर
सर्जरी के बाद मुन्नेलाल को तीन दिन वेंटिलेटर पर रखा गया। चौथे दिन मरीज वेंटिलेटर से निकला। फिर नौ दिन आईसीयू में रखा गया। हालत सामान्य होने के बाद छुट्टी दे दी गई। इस मरीज की मई 2023 में पेट की सर्जरी भी करनी पड़ी थी।
ऑपरेशन की टीम में रहे शामिल
ट्रॉमा सर्जरी: डॉ. वैभव जायसवाल, डॉ. यादवेंद्र धीर, डॉ. शाहनवाज अहमद, डॉ. आकांक्षा कुमारी, डॉ. एकता सिंह, डॉ. रंबित, डॉ. अंजना मन्हास।
प्रशासनिक: प्रो. समीर मिश्रा, प्रो. संदीप तिवारी, प्रो. तूलिका चंद्रा, प्रो. एसके सिंह, प्रो. मोनिका कोहली
सीवीटीएस: डॉ. विवेक तेवर्सन, डॉ. जीशान हाकिम
एनेस्थीसिया एंड क्रिटिकल केयर: डॉ. ब्रजेश प्रताप सिंह, डॉ. रति प्रभा, डॉ. त्रिपति सिंह, डॉ. शगुल पालीवाल, डॉ. सुनंदा सिंह
नर्स: परमानंद और महेंद्र।