सोनभद्र। थाना शक्तिनगर परिक्षेत्र में स्थित एनटीपीसी सिंगरौली प्रेक्षागृह में सोमवार की शाम पर्यावरण प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड द्वारा आयोजित एन्हांसमेंट आफ फ्लाई ऐश यूटिलाइजेशन पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन उत्तर प्रदेश मनोज सिंह ने दीप प्रज्वलित कर किया। अपने उद्बोधन में कहा कि एफिशिएंसी में वृद्धि से उत्सर्जन स्तर कम किया जा सकता है। फ्लाई ऐश सोनभद्र की गम्भीर समस्या है। खदानों अथवा निचले क्षेत्र में राख भराव अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल करना होगा। औद्योगिक प्रतिष्ठानों को सर्कुलर इकोनामी अपनानी होगी। यूपी में वर्तमान में 70 प्रतिशत म्यूनिसिपल सालिड वेस्ट, 90 प्रतिशत टायर वेस्ट व ई-वेस्ट और 80 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट रीसायकल किये जा रहे है। ऐश का इस्तेमाल भी इससे ब्रिक निर्माण, सेंड निर्माण, ब्लाक निर्माण एवं अन्य उपयोगी उत्पाद में किया जा सकता है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुधीर कुमार शर्मा ने बगैर समुचित जांच वन क्षेत्र में राख भराव के खतरे से आगाह किया। कहा कि राख भराव से पूर्व दीर्घ कालिक प्रभाव जांचने होंगे क्योंकि नकारात्मक असर को बाद में निस्तारण करना बेहद मुश्किल होगा।
पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन में इससे पूर्व कमोबेश सभी बिजलीघर राख भराव के लिए खदानों व वन भूमि उपलब्ध कराने की मांग मुख्य रूप से करते दिखे। हालांकि एनटीपीसी ने इससे पूर्व पावर प्वांइट प्रेजेन्टेशन द्वारा एनटीपीसी रिहन्द के नेनो कांक्रीट एग्रीगेट, लाइटवेटर एग्रीगेट, जियो पालिमर कोर्स एग्रीगेट, एफएएलजी तकनीक आधारित एग्रीगेट व राख से सेंड निर्माण की दिशा में किये प्रयासों को बताया जिसकी मुख्य अतिथि ने जमकर तारीफ की। अनपरा, ओबरा, मेघा सहित अन्य परियोजनाओं के अधिकारियो द्वारा वन भूमि उपलब्ध कराने की मांग मुख्य रूप से करते दिखे। कार्यक्रम का संचालन क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी उमेश कुमार गुप्ता ने किया। इस अवसर पर डीएम चंद्र विजय सिंह, एस पी डॉक्टर यशवीर सिंह सहित एनसीएल के निदेशक तकनीकी, एनसीएल यूपी की परियोजनाओं के महाप्रबन्धक, एनटीपीसी सिंगरौली, अनपरा बिजलीघर के मुख्यमहाप्रबन्धकों के अतिरिक्त लैंको अनपरा, हिण्डालकों रेनुपावर, ओबरा के भी अभियन्ताओं ने शिरकत की।