शक्तिनगर/सोनभद्र। नवरात्र के 6वें दिन मां ज्वालामुखी का हजारों श्रद्धालुओं ने विधिवत दर्शन-पूजन किया। सुबह 3-00 बजे से ही मंदिर में भक्तों का आने का तांता लगा रहा। मां ज्वालामुखी मंदिर पांच राज्यों की सीमा पर स्थित है। हिंदू भक्तों का मानना है कि ज्वाला देवी मंदिर की तीर्थयात्रा उनके सभी कष्टों का अंत कर देती है।
माता रानी का दर्शन करने के लिए दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु लाइन में लगकर नारियल चुनरी, पेड़ा, मिश्री, इलायची दाना, सिंदूर, बिंदी सहित अपने मन्नते लेकर पहुंचते है। माता रानी के दर्शन कर भक्त भावविभोर हो जाते है। पूरा मंदिर प्रांगण शक्तिनगर माता रानी की जयकारा से गूंज उठा।
शक्तिनगर स्थित मां ज्वालामुखी देवी शक्तिपीठ में चैत्र नवरात्र पर दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए विशेष तैयारी की गई है। मंदिर के पुजारी परिवार ने साफ-सफाई कर जहां मंदिर परिसर को आकर्षक ढंग से सजाया है, वहीं दूरदराज से आने वाले दर्शनार्थियों के रुकने तथा खाने आदि की सुविधा प्रदान की जा रही है। नवरात्र में मंदिर परिसर के सिंह द्वार के अंदर व बाहर माला-फूल सहित पूजा के सामानों की दुकानें लगी हैं।
बतादें कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़, बिहार और झारखण्ड की सीमा पर स्थित मां ज्वालामुखी मंदिर रिहंद जलाशय में समाहित गहरवार राजा उदित नारायण के राज घराने की कुल देवी के रूप में उनके द्वारा स्थापित की गयी थीं। राजा का किला व राजधानी का कुछ भाग जलाशय में डूब गया है। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में रह रहे इस राजघराने के लोग आज भी मां ज्वालामुखी को ही कुल देवी के रूप में पूजते हैं। मंदिर आधुनिक वास्तुकला से निर्मित है। मंदिर के समीप स्थित कोल परियोजनाओं में प्रतिदिन ब्लास्टिंग होने से धरती हिल जाती है। इसके बाद भी मंदिर का छत खम्भा यथावत कायम है। नीम का पेड ़भी मंदिर के गर्भगृह के साथ होने के बाद भी मंदिर की सतह में कभी दरार नहीं आई। मंदिर में कई तहखाने हैं। एक तहखाने में ही अखंड ज्योति निरंतर जल रही है।